आज हम पाचन तंत्र की सबसे महत्वपूर्ण हिस्से छोटी आंत (Small intestine) के बारे में चर्चा करेंगे की छोटी आंत (Small intestine) क्या है? छोटी आंत पाचन तंत्र में सबसे ज्यादा भोजन में उपस्थित सबसे ज्यादा पोषक तत्वों को ग्रहण करता है, इसके अतिरिक्त हम जानेंगे की छोटी आंत को कितने भागों में विभक्त किया गया है, और इसमें पाया जाने वाले छोटे छोटे उभार को क्या कहा जाता है व इसके अतिरिक्त छोटी आंत से संबंधित बीमारियों के बारे में चर्चा करेंगे ।
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छोटी आंत (Small intestine) क्या है?
छोटी आँत पाचन तंत्र का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है। जो आमाशय के जठरनिर्गमी ( Pyloric) भाग से शुरू होकर बड़ी आंत पर पूर्ण होती है। यह पाचन तंत्र का सबसे लंबा भाग होता है छोटी आंत की लंबाई 6 से 6:30 मीटर तक हो सकती है, और इसका व्यास 2.5 सेमी तक होता है, तथा आहार नाल के इस अंग द्वारा ही भोजन में उपस्थित पोषक तत्वों का सबसे अधिक पाचन तथा अवशोषण होता है।
छोटी आंत को सामान्य तौर पर तीन भागों में विभक्त किया गया है-
(अ) ग्रहनी (Duodenum)
(ब) अग्रक्षुदांत्र (Jejunum)
(स) क्षुदांत्र (ileum)
(अ) ग्रहनी (Duodenum)
यह छोटा भाग छोटी आंत का हिस्सा है, इसका प्रारम्भिक भाग जो अंग्रेजी के अक्षर U की तरह मुड़ा रहता है, ग्रहणी या डुओडेनम(Duodenum) कहलाता है। (DOO-ah-DEE-num) छोटी आंत का पहला भाग । ग्रहणी तथा आमाशय के मोड़ के मध्य अग्न्याशय पाया जाता है। ग्रहणी भोजन को पचाने में मदद करने के लिए आपके पित्ताशय, यकृत और अग्न्याशय से पित्त का भी उपयोग करती है।
(ब) अग्रक्षुदांत्र (Jejunum)
यह छोटी आंत का मध्य भाग है। यहाँ लहरदार मांसपेशी संकुचन के साथ भोजन को तेजी से इलियम की ओर ले जाता है। ग्रहणी में पाचित आहार रस का अवशोषण किया जाता है। मुख्यतः अवशोषण का कार्य विशेष प्रकार की कोशिकाओं जिन्हे आन्त्रकोशिका (Enterocyte) कहा जाता है के द्वारा संपादित किया जाता है।
(स) क्षुदांत्र (ileum)
यह अंतिम भाग आपकी छोटी आंत का सबसे लंबा हिस्सा है। यह भाग उन पोषक तत्वों । विशेष रूप से पित्त लवण (Bile Salts) व विटामिनों का अवशोषण करता है जो अग्रक्षुदात्र में अवशोषित नहीं हो पाते। यह बड़ी आँत में खुलता है। इलियम की दीवार की भीतरी सतह पर अंगुलियों के समान रचनाएँ पायी जाती हैं जिन्हें आन्त्र रसांशु (Intestinal villi) कहते हैं। ये रसांकुर आँत की दीवार के अवशोषण सतह को बढ़ाते हैं। इलियम वह जगह है जहां आपके भोजन से अधिकांश पोषक तत्व बड़ी आंत में खाली होने से पहले अवशोषित होते हैं।
छोटी आंत के अंदर दीवारों पर हमारे भोजन के अवशेषण के लिए छोटे-छोटे उभार पाए जाते हैं, इन्हें हम निम्न प्रकार से समझ सकते हैं, जो निम्नलिखित है –
म्यूकोसल सिलवटें: छोटी आंत की आंतरिक सतह गोलाकार सिलवटों में फैली होती है। अर्थात यह सपाट नहीं होती है, यह हमारे पचे हुए भोजन के प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करता है।
विली: म्यूकोसल सिलवटें पर कई छोटे-छोटे उभर पाए जाते हैं, इन्हें विली कहा जाता है जब भोजन इन विली के पास से गुजरता है, तब विली भोजन से पोषक तत्वों को ग्रहण कर लेती है।
माइक्रोविली: विली पर पाए जाने वाले छोटे-छोटे बालों जैसे संरचना को माइक्रोविली कहा जाता है, यह पोषक तत्वों के ग्रहण करने की सतह को बढ़ा देता है जिससे अधिक से अधिक पोषक तत्वों को ग्रहण किया जा सके।
छोटी आंत से संबंधित बीमारियां
क्रोहन रोग (Crohn’s Disease)
क्रोहन रोग एक दीर्घकालिक स्थिति है जो पाचन तंत्र में दर्दनाक सूजन (सूजन) का कारण बनती है। सबसे आम लक्षण पेट में दर्द और ऐंठन, दस्त और वजन कम होना हैं।
सीलिएक रोग (Celiac Disease)
सीलिएक रोग आपकी त्वचा, हार्मोन और हड्डियों और जोड़ों सहित आपके शरीर की लगभग हर प्रणाली के पहलुओं को प्रभावित कर सकता है।
SIBO (Small Intestine Bacterial Overgrowth) छोटी आंत में बैक्टीरियल अतिवृद्धि
छोटी आंत में बैक्टीरिया की अत्यधिक वृद्धि (एसआईबीओ) छोटी आंत में अत्यधिक आंत बैक्टीरिया है ।
FAQ:
छोटी आंत को कितने भागों में बांटा गया है?
छोटी आंत को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है, जिसमें ग्रहनी (Duodenum), अग्रक्षुदांत्र (Jejunum), क्षुदांत्र (ileum) | ग्रहनी (Duodenum) छोटी आंत का पहला तथा सबसे छोटा भाग है,
अग्रक्षुदांत्र (Jejunum) छोटी आंत का मध्य भाग है, छोटी आंत का अंतिम भाग है जो बड़ी आँत में खुलता है।