आज हम एक ऐसे विषय पर चर्चा करेंगे, जो न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए बेहद संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण है। मातृ मृत्यु दर केवल एक आंकड़ा नहीं है; यह हमारे स्वास्थ्य तंत्र और सामाजिक संरचना का प्रतिबिंब है।यह भारत में मातृ मृत्यु दर 2024 विषय हमें न केवल आंकड़ों की गंभीरता समझने का मौका देगा, बल्कि यह भी सिखाएगा कि कैसे छोटे कदम बड़े बदलाव ला सकते हैं। आइए, इसे गहराई से समझने और सीखने की शुरुआत करें।
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मातृ मृत्यु दर (MMR) क्या है? भारत में मातृ मृत्यु दर 2024
परिभाषा:
प्रति 100,000 जीवित बच्चों के जन्म के दौरान कुल माताओं की मृत्यु को मातृ मृत्यु दर कहा जाता है। यह आंकड़ा माताओं के स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता का प्रमुख संकेतक है।
मातृ मृत्यु दर का सूत्र:
मातृ मृत्यु दर (Maternal Mortality Rate) को मापने के लिए एक मानक सूत्र का उपयोग किया जाता है, जो प्रत्येक 1 लाख जीवित जन्मों पर माताओं की मृत्यु का आंकड़ा प्रदान करता है। इसका उपयोग यह समझने के लिए किया जाता है कि प्रसव या उससे संबंधित जटिलताओं के दौरान कितनी माताओं की मृत्यु होती है।
मातृ मृत्यु अनुपात = (मातृ मृत्यु की संख्या / जीवित जन्मों की संख्या) × 100,000
यह आंकड़ा यह समझने में मदद करता है कि स्वास्थ्य सेवाओं, प्रसवपूर्व देखभाल और संस्थागत प्रसव की गुणवत्ता में क्या सुधार की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, 2020 में भारत में मातृ मृत्यु दर 97 प्रति 1 लाख जीवित जन्म थी, जो एक बड़ा सुधार है, लेकिन इसे और कम करने के लिए प्रयास जारी हैं।
भारत में मातृ मृत्यु दर 2024
यह माप न केवल स्वास्थ्य सेवाओं के प्रभाव को दिखाता है, बल्कि समाज में महिलाओं के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।
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भारत में मातृ मृत्यु दर 2024 :
भारत में मातृ मृत्यु दर 2024 अर्थात 2023 2024 के दौरान की बात की जाए तो यह आंकड़ा 100000 जीवित जन्मे बच्चों पर 45.5 रहने का अनुमान है। जो की पिछले वर्षों 2022-23 के दौरान रहे आंकड़े 52.2 से कम है। भारत में मातृ मृत्यु दर 2024
भारत में नवीनतम मातृ मृत्यु दर (MMR) 2018-2020 की अवधि के लिए प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर 97 है। सरकार के प्रयासों के तहत यह दर 2014-16 में 130 से घटकर 97 तक पहुंची है। यह भारत के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के तहत 2030 तक इसे 70 से नीचे लाने के उद्देश्य का हिस्सा है-
- वर्तमान राष्ट्रीय औसत (2023): 97/100,000 जीवित जन्म।
- सर्वाधिक मातृ मृत्यु दर वाला राज्य: उत्तर प्रदेश।
- सबसे कम मातृ मृत्यु दर वाला राज्य: केरल।
मध्य प्रदेश में मातृ मृत्यु दर:
मध्य प्रदेश में मातृ मृत्यु दर अब भी राष्ट्रीय औसत से अधिक है। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं और संस्थागत प्रसव के मामले में सुधार की जरूरत है, खासकर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, राज्य के कुछ हिस्सों में प्रसव की गुणवत्ता और प्रसवपूर्व देखभाल कम है, जो उच्च मातृ मृत्यु दर का कारण बन सकती है।
भारत के बड़े राज्यों में तीसरा सबसे अधिक मातृ मृत्यु दर मध्य प्रदेश का है, जो की (173/100000 जीवित जन्म) है।
2001 में, मध्य प्रदेश में प्रति 1,000 निवासियों पर 10 मौतें दर्ज की गई थीं। यह आंकड़ा धीरे-धीरे घटकर 2020 में प्रति 1,000 निवासियों पर 6.5 मृत्यु तक आ गया।
मध्य प्रदेश की मातृ मृत्यु दर को विस्तार से जानने के लिए CLICK HERE
भारत में मातृ मृत्यु दर 2024
मातृ मृत्यु दर के प्रमुख कारण:
- प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव: प्रसव के समय पर्याप्त देखभाल न मिलने पर गंभीर रक्तस्राव घातक हो सकता है।
- उच्च रक्तचाप: गर्भावस्था के दौरान अनियंत्रित रक्तचाप गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है।
- संस्थागत प्रसव का अभाव: प्रसव के समय अस्पताल या प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी की अनुपस्थिति।
- संक्रमण: प्रसव के दौरान या बाद में संक्रमण के कारण।
मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकारी योजनाएँ:
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना: गर्भवती महिलाओं को पोषण और स्वास्थ्य सहायता के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसकी शुरुआत 1 जनवरी 2017 को महिला और बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) के द्वारा
- जननी सुरक्षा योजना: गरीब महिलाओं के संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए यह योजना चलाई जामंत्रालय इस योजना की शुरुआत 12 अप्रैल 2005 को भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने की थी ।
- सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना (SUMAN): माताओं और नवजात शिशुओं को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए। इसकि शुरुआत 9 अक्टूबर 2019 को की गई थी। यह योजना स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत संचालित की जाति है ।
- भारत में मातृ मृत्यु दर 2024
मातृ मृत्यु दर कम करने के अन्य उपाय:
- महिलाओं के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच।
- गर्भावस्था के दौरान नियमित स्वास्थ्य जांच।
- प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की सहायता से संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना।
- महिलाओं में जागरूकता अभियान और परिवार नियोजन।
- भारत में मातृ मृत्यु दर 2024