सती प्रथा का परिचय । sati pratha in Hindi
सती प्रथा एक ऐसी सामाजिक प्रथा थी, जिसमें पति की मृत्यु के बाद पत्नी को पति के अंतिम संस्कार के समय जीवित ही चिता पर बैठकर आत्मदाह करना पड़ता था। इसे “सती होना” कहा जाता था। आप पड़ रहे है – sati pratha in Hindi
महत्वपूर्ण सूचना :- टेलीग्राम पर MP Mahila Supervisor Practice BATCH चल रही है, आप इसे ज्वाइन कर सकते हैं नीचे लिंक के द्वारा sati pratha in Hindi
सती प्रथा का इतिहास
1. सती प्रथा के प्रथम साक्ष्य
- ऋग्वेद में सती प्रथा का कोई उल्लेख नहीं है। प्रारंभ में महिलाएं केवल प्रतीकात्मक रूप से चिता के पास बैठती थीं, लेकिन बाद में यह प्रथा वास्तविक आत्मदाह में बदल गई।
- महाभारत और रामायण जैसे ग्रंथों में इसका अप्रत्यक्ष उल्लेख मिलता है।
- प्रथम ऐतिहासिक साक्ष्य गुप्तकाल (4वीं-5वीं शताब्दी) में मिलता है।
- आप पड़ रहे है – sati pratha in हिंदी
प्रथम अभिलेख:
- एरण अभिलेख (510 ईस्वी) मध्य प्रदेश के सागर जिले के एरण नामक स्थान से प्राप्त हुआ था।
- इस अभिलेख में राजा भानु गुप्त के सेनापति गोपराजा की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी द्वारा सती होने का उल्लेख है।
- यह भारत में सती प्रथा का सबसे प्राचीन प्रमाणित अभिलेख माना जाता है।
- इसके अलावा, यह स्पष्ट करता है कि गुप्तकाल में सती प्रथा का अस्तित्व था लेकिन यह सामान्य प्रथा नहीं थी, बल्कि इसे विशेष परिस्थितियों में अपनाया जाता था।
- आप पड़ रहे है – sati pratha in Hindi @SecondCoaching पर
- Bal Vivah Adhiniyam Top MCQ.
- Dahej Pratishedh Adhiniyam TOP MCQ.
राजस्थान के चित्तौड़ और मालवा में सती के प्रमाण अधिक दिखाई देते हैं।
राजपूत काल में यह प्रथा ज्यादा प्रचलित हुई, विशेषकर युद्धों के समय जब महिलाएं आत्मसम्मान बचाने के लिए जौहर करती थीं।
2. सती प्रथा की स्थिति और कारण
- यह प्रथा मुख्य रूप से सामंती व्यवस्था और पितृसत्तात्मक सोच का परिणाम थी।
- सती होने वाली महिलाओं को “पवित्र” और “देवी” का दर्जा दिया जाता था।
- समाज में इसे नारी के “त्याग” और “सतीत्व” का प्रतीक माना गया।
- कई बार सामाजिक दबाव और परिवार के सम्मान के नाम पर महिलाओं को सती बनने के लिए मजबूर किया जाता थाय।
- आप पड़ रहे है – sati pratha in Hindi @SecondCoaching पर
3. सती प्रथा पर रोक लगाने के प्रयास
प्रारंभिक प्रयास:
- 12वीं शताब्दी: अलाउद्दीन खिलजी के समय सती प्रथा को रोकने के प्रयास किए गए थे।
- मुगलकाल: अकबर ने भी इस प्रथा पर रोक लगाने की कोशिश की। उन्होंने महिलाओं को सती होने के लिए मजबूर करने पर प्रतिबंध लगाया।
- जहांगीर और औरंगजेब ने भी सती प्रथा पर नियंत्रण के प्रयास किए, लेकिन यह पूरी तरह समाप्त नहीं हो सकी।
- आप पड़ रहे है – sati pratha in Hindi @SecondCoaching पर
ब्रिटिश शासन के समय:
- 18वीं-19वीं शताब्दी में सती प्रथा सबसे ज्यादा प्रचलित थी।
- अंग्रेजों के आने के बाद इस प्रथा को अमानवीय और क्रूर माना गया।
- राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा के खिलाफ आंदोलन शुरू किया।
- उन्होंने इसे महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन और समाज की बर्बर प्रथा बताया।
- उनके प्रयासों के चलते ब्रिटिश गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक ने सती प्रथा को खत्म करने के लिए कानून बनाया।
- आप पड़ रहे है – sati pratha in Hindi @SecondCoaching पर
4. सती रोकथाम अधिनियम (1829):
- 4 दिसंबर 1829 को लॉर्ड विलियम बेंटिक ने बंगाल सती प्रोहिबिशन एक्ट लागू किया।
- यह कानून सती प्रथा को गैरकानूनी और अपराध घोषित करता था।
- इसमें सती के लिए उकसाने, जबरदस्ती करने, या किसी भी रूप में शामिल होने पर कठोर दंड का प्रावधान था।
- आप पड़ रहे है – sati pratha in Hindi @SecondCoaching पर
5. स्वतंत्रता के बाद सती प्रथा की स्थिति:
- 20वीं शताब्दी में सती प्रथा लगभग समाप्त हो गई थी, लेकिन 1987 में राजस्थान के “रूप कंवर सती कांड” ने फिर से समाज को झकझोर दिया।
- 4 सितंबर 1987 को राजस्थान के देवराला गांव में 18 वर्षीय रूप कंवर को सती बना दिया गया था।
- इस घटना के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया और महिलाओं के अधिकारों के लिए कई आंदोलन हुए।
- इस घटना ने सरकार को मजबूर किया कि वह सती प्रथा पर रोक लगाने के लिए कड़ा कानून बनाए।
- आप पड़ रहे है – sati pratha in Hindi @SecondCoaching पर
इस घटना के बाद सरकार ने सती निवारण अधिनियम, 1987 लागू किया। यह कानून सती होने को प्रोत्साहित करने और उसका महिमामंडन करने पर सख्त पाबंदी लगाता है।
सती निवारण अधिनियम, 1987
सती निवारण अधिनियम, 1987 को राजस्थान के “रूप कंवर सती कांड” (सितंबर 1987) के बाद पारित किया गया था। यह अधिनियम सती प्रथा को रोकने और उससे संबंधित किसी भी गतिविधि को अपराध घोषित करने के लिए बनाया गया था।
सती निवारण अधिनियम, 1987 को 1 अक्टूबर 1987 को लागू किया गया था।
- इस कानून को लागू करने का मुख्य कारण 4 सितंबर 1987 को राजस्थान के देवराला गांव में रूप कंवर सती कांड था।
- इस घटना के बाद पूरे देश में आक्रोश फैल गया, और तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाए।
- आप पड़ रहे है – sati pratha in Hindi @SecondCoaching पर
कानून पर हस्ताक्षर:
- इस अधिनियम पर भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री आर. वेंकटरमन ने हस्ताक्षर किए।
- उस समय भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे।
- यह कानून संसद में पारित होने के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से लागू हुआ।
- आप पड़ रहे है – sati pratha in Hindi @SecondCoaching पर
मुख्य उद्देश्य:
- सती प्रथा (महिला का पति की चिता पर आत्मदाह करना) को पूरी तरह से समाप्त करना।
- सती को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों पर रोक लगाना।
- सती का महिमामंडन करने वालों के लिए सख्त सजा का प्रावधान करना।
- आप पड़ रहे है – sati pratha in Hindi @SecondCoaching पर
महत्वपूर्ण प्रावधान:
1. अधिनियम का नाम:
- इसे “राजस्थान सती (रोकथाम) अधिनियम, 1987” या “The Commission of Sati (Prevention) Act, 1987” कहा जाता है।
- यह अधिनियम पूरे भारत पर लागू होता है।
2. परिभाषा (Section 2):
- सती: किसी महिला का अपने पति की मृत्यु के बाद उसकी चिता पर आत्मदाह करना।
- महिमामंडन: सती की पूजा करना, मंदिर बनाना, उत्सव मनाना, मूर्ति स्थापित करना, या किसी भी रूप में सती को पवित्र और पूजनीय बनाना।
3. महत्वपूर्ण धाराएं और सजा:
धारा | अपराध | सजा |
---|---|---|
धारा 3 | सती का प्रयास या उसमें सहायता करना | मृत्युदंड या आजीवन कारावास |
धारा 4 | सती का महिमामंडन करना | 1 से 7 वर्ष का कारावास और जुर्माना |
धारा 5 | सभा या उत्सव आयोजित करना | 1 से 7 वर्ष का कारावास और जुर्माना |
धारा 6 | सती स्थल को पवित्र घोषित करना | कारावास और जुर्माना |
धारा 7: पुलिस की शक्ति और कार्यवाही
– पुलिस को इस अधिनियम के तहत किसी भी अपराध की रिपोर्ट पर गिरफ्तार करने और मामले की जांच करने का अधिकार है।
– यह अपराध गंभीर (Cognizable) और गैर-जमानती (Non-Bailable) है।
सती निवारण अधिनियम के अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:
- लोक अभियोजक का दायित्व (Section 10): राज्य सरकार को विशेष लोक अभियोजक नियुक्त करना होता है।
- सती महिमामंडन पर पूर्ण प्रतिबंध: सती स्थल का प्रचार-प्रसार करने पर पाबंदी है।
- सती होने की सूचना: घटना की तुरंत सूचना प्रशासन और पुलिस को दी जानी चाहिए।
- सती से संबंधित संपत्ति: सरकार संपत्ति, मूर्तियों, या चढ़ावे को जब्त कर सकती है।