इंडो ग्रीक शासन के इतिहास की जानकारी

इंडो ग्रीक शासन

यवन साम्राज्य ( इंडो ग्रीक शासन )। Indo Greeks 

👉 इंडो ग्रीक शासन को यवन साम्राज्य के नाम से भी जाना जाता है, इसने भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी पर शासन किया था जिसमें अफगानिस्तान के कुछ हिस्से, वर्तमान पाकिस्तान का कुछ क्षेत्र और ईरान के कुछ हिस्से शामिल थे। उन्हें ‘इंडो-ग्रीक ‘ कहा जाता था क्योंकि वे लगभग हमेशा बैक्ट्रिया से अलग रहते थे। इसकी शुरुआत 180 ईसा पूर्व से हुई जब बैक्ट्रियन राजा डेमेट्रियस ने भारत पर आक्रमण किया था। वे ग्रीको-बैक्टीरिया शासन से राजनीतिक रूप से भिन्न थे।

इंडो ग्रीक शासन

👉 उत्तर भारत में मौर्य शासन के पतन के बाद कई छोटे राजवंशों का उदय हुआ। आने वाले स्वदेशी राजवंशों में शुंग, कण्व और सातवाहन शामिल थे। भारत में गैर-स्वदेशी राजवंशों में इंडो-ग्रीक शासन शक, पार्थियन ( पहल्व )और कुषाण शामिल हैं। इस बीच, भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग पर मध्य एशियाई शक्तियों द्वारा लगातार हमला किया गया।

👉 इंडो-ग्रीक प्रभाव के तहत कई बेबीलोनियाई और ईरानी देवताओं को भारतीय धर्म में शामिल किया गया। इसके साथ ही इसके प्रभाव से हिन्दू प्रतिमाशास्त्र में भी परिवर्तन आया।

भारत पर आक्रमण करने वाले विदेशी आक्रमणकारियों की सूची निम्नानुसार हैं ।

👉 पश्चिमी तथा मध्य एशिया के विशाल साम्राज्य को सेल्यूकस के द्वारा स्थापित इसके उत्तराधिकारी एन्टिओकस प्रथम ने अक्षुण्ण बनाए रखा । विद्रोह के फलस्वरूप एन्टिओकस-11 के शासनकाल में उसके अनेक प्रांत स्वतंत्र हो गए।

👉 बैक्ट्रिया के विद्रोह का नेतृत्व डियोडोट्स प्रथम ने किया था। बैक्ट्रिया पर डियोडोट्स प्रथम के साथ इन राजाओं ने यवन साम्राज्य पर शासन किया-डियोडोट्स-II, यूथिडेमस्, डेमिट्रियस, मिनान्डर, युक्रेटाइडस, एण्टी आलकीडस तथा हर्मिक्स ।

👉 मिलिंद पान्हो के ग्रंथ और बेसनगढ़ के वैष्णव स्तंभ में धर्म के क्षेत्र पर यूनानी के प्रभाव को देखा जा सकता है।

👉 बैक्ट्रिया के शासक डेमिट्रियस ने भारत पर सबसे पहले आक्रमण किया था। डेमिट्रियस ने भारत पर 190 ईसा पूर्व में  आक्रमण कर पंजाब, अफगानिस्तान एवं सिंध के बहुत बड़े भाग को अधिकार क्षेत्र में मिला लिया था। इसने अपनी राजधानी शाकल बनायी थीं। इसे ही हिन्द-यूनानी या बैक्ट्रियाई यूनानी या इंडो ग्रीक कहा गया था।

👉 इंडो ग्रीक शासकों में मिनान्डर सबसे अधिक विख्यात था। इसने 165 ईस्वी पूर्व से लेकर 145 ईस्वी पूर्व तक शासन किया था इसके समय में शिक्षा का प्रमुख केन्द्र शाकल था, जो कि इसकी राजधानी शाकल (आधुनिक सियालकोट) थीं।

👉 भारत पर सबसे पहला विदेशी आक्रमण बैक्ट्रिया के ग्रीकों ने मौयोंत्तर काल में किया था, इन्हें ‘हिन्द-यवन’ या ‘इण्डोग्रीक’ या ‘ बैक्ट्रियाई यूनानी के नाम से भी जाना जाता है।

👉 मिनाण्डर हिन्द-यवन शासकों में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण था।

👉 ‘मिलिन्दपन्हो’ नामक ग्रन्थ में प्रसिद्ध बौद्ध दार्शनिक नागसेन के साथ मिनाण्डर (मिलिन्द) के द्वारा किये गए वाद-विवाद का विस्तृत वर्णन मिलता है।

👉 यूनानियों ने भारत को विभिन्न ग्रहों के नाम, नक्षत्रों के आधार पर भविष्य बताने की कला, सम्वत् तथा सप्ताह के सात दिनों का विभाजन करना सिखाया था।

👉 मिनान्डर ने बौद्ध धर्म की दीक्षा नागसेन (नागार्जुन) से ली थीं। 

👉 एक पुस्तक के रूप में मिनान्डर के प्रश्न एवं नागसेन द्वारा दिए गए उत्तर संगृहीत हैं, जिसका नाम मिलिन्दपन्हो अर्थात् मिलिंद के प्रश्न या ‘मिलिन्दप्रश्न’ है।

इंडो ग्रीक शासन के सिक्के 

👉 भारत के पहले शासक हिन्द-यूनानी थे। इनके द्वारा चलाये गए सिक्कों के बारें में निश्चित रूप से पता चलता हैं कि वें सिक्के किन – किन राजाओं ने जारी किये थे। 

👉 हिन्दू यवन शासकों ने भारत में सबसे पहले ‘सोने के सिक्के’ तथा ‘लेखयुक्त सिक्के’ चलाये थे।

इंडो ग्रीक शासन की कलाएँ 

👉 हिन्द-यूनानी शासकों ने यूनान की प्राचीन कला भारत के पश्चिमोत्तर सीमा के प्रांत में चलाई थीं , जिसे हेलेनिस्टिक आर्ट कहते हैं। भारत में इसका उत्तम उदाहरण गंधार कला है।

👉 भारतीय नाट्यकला के विकास में यूनानियों ने परदे का प्रचलन आरंभ कर योगदान किया। चूँकि परदा यूनानियों की देन था इसलिए वह यवनिका के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।

👉 यूनानियों ने भी वास्तुशिल्प विकास में योगदान दिया और अशोक के शासन के तहत प्रशासनिक भूमिका निभाई।

👉उदाहरण के लिए, रुद्रदामन के जूनागढ़ या गिरनार शिलालेख में उल्लेख है कि अशोक के शासन के तहत गुजरात के जूनागढ़ क्षेत्र का प्रभारी यूनानी गवर्नर तुषास्फा था।

👉 यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर ने अपनी बेटी का विवाह चंद्रगुप्त मौर्य से करवाया था। इसके अलावा, कई यूनानी राजदूतों को चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में रहने के लिए भेजा गया था। इनमें मेगस्थनीज, डाइमाकस और डायोनिसियस शामिल हैं।

👉 यूनानी आबादी मौर्य शासन के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भागों में रहती थी। इसका विवरण अशोक के कुछ शिलालेखों से प्राप्त होता है। अशोक ने अपने शिलालेखों में वर्णन किया है कि उसने बौद्ध दूतों कों भूमध्यसागरीय क्षेत्र से यूनानी शासकों के पास भेजा था।

👉 बौद्ध धर्म के प्रसार में भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाले यूनानियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पाली स्रोतों में महान बौद्ध भिक्षुओं के रूप में अशोक द्वारा भेजे गए कुछ धार्मिक दूतों का वर्णन किया गया था।

👉 206 ईसा पूर्व में, एक अन्य यूनानी शासक, एंटिओकस, अपनी सेना को काबुल क्षेत्र में लाया। स्थानीय राजा ने उन्हें उपहार के रूप में उपहार और युद्ध हाथी की पेशकश की।

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