Fat kya Hota hai in hindi – वसा क्या है? वसा के स्रोत, प्रकार, कार्य, विकार

Fat kya Hota hai in hindi

आज हम पढ़ेंगे वसा के बारे में, की Fat kya Hota hai in hindi वसा क्या है, और यह हमारे शरीर में किस प्रकार से हानिकारक व लाभदायक हो सकती है, वसा कितने प्रकार होते हैं तथा असंतृप्त वसा, संतृप्त वसा क्या होती है, इनका स्रोत क्या होता है आज हम उनका डिटेल के साथ चर्चा करेंगे । यहां जो लेख डाले जा रहे हैं, यह महिला सुपरवाइजर एग्जाम को टारगेट करते हुए डाले जा रहे हैं ।

इससे पहले पहले हमने पढ़ा है, कि
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Fat kya Hota hai in hindi – वसा क्या है?

वसा शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाला प्रमुख खाद्य पदार्थ होता है। अर्थात वसा ऊर्जा का सकेंद्रित स्रोत है, वसा वास्तव में कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन से निर्मित एक यौगिक है, परन्तु इसमें कार्बन एवं हाइड्रोजन की मात्रा अधिक तथा ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है। इसके पीछे वाजिब वजह है. वसा आहार में ऊर्जा का सबसे केंद्रित स्रोत होता है जो प्रति ग्राम लगभग 8 से 9 कैलोरी प्रदान करता है, जबकि दूसरी ओर, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन में प्रति ग्राम केवल चार कैलोरी होती है। वसा का निर्माण ग्लिसरॉल के एक अणु तथा वसीय अम्ल के तीन अणुओं के एस्टर बंध द्वारा आपस में जुड़ने से होता है। वसा पूर्ण रूप से कार्बनिक घोलकों में घुलनशील होते हैं, लेकिन जल में पूर्णतः अघुलनशील होते हैं।

Fat kya Hota hai in hindi

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वसा का पायसीकरण

इमल्सीकरण वसा को छोटी रक्त कोशिकाओं में तोड़ने की प्रक्रिया है, ताकि एंजाइम कार्य कर सकें और भोजन अधिक आसानी से पच सके। क्षार द्वारा इसका पायसीकरण (Emulsification) हो सकता है। वसा का पायसीकरण मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि यकृत द्वारा किया जाता है, यकृत पित्त रस का स्राव करता है।
FACT:- Adipose tissue (वसा ऊतक) ➾ त्वचा(SKIN) / वृक्क(LEVER) मैं पाए जाते हैं ➾ FAT को स्टोर करते हैं ।

वसा के स्रोत

वसा का मुख्य स्रोत दूध, माँस, मछली, मक्खन, मूँगफली का तेल, घी, पनीर, खोया, दही, सरसों के बीज, गिरीदार फल, आदि है।

वसा के प्रकार

असंतृप्त वसा Unsaturated fats

असंतृप्त वसा वह वसा होते हैं, जो कमरे के तापमान (25*C) पर तरल हो जाते हैं इन्हें लाभकारी वसा माना जाता है क्योंकि यह रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार करते हैं सूजन को कम करते हैं हृदय की गति को स्थिर रखते हैं और अन्य कई लाभकारी भूमिका निभाते हैं, असंतृप्त वसा मुख्य रूप से वनस्पति तेल, नट्स और बीजों जैसे पौधों से प्राप्त होता हैं।
NOTE:- मछली में पाया जाने वाला असंतृप्त वसा का अपवाद है।
अर्थात असंतृप्त वसा ऐसी वसा होती है, जिनका आसानी से पाचन हो जाता है इसे Good Fat भी कहा जाता है
ओमेगा-3 वसा एक महत्वपूर्ण प्रकार का Unsaturated fats है। शरीर इन्हें नहीं बना सकता, इसलिए इन्हें भोजन से आना चाहिए।
असंतृप्त वसा दो प्रकार के होते हैं:

  1. मोनोअनसैचुरेटेड वसा
  2. पॉलीअनसैचुरेटेड वसा

संतृप्त वसा Saturated Fats

संतृप्त वसा वह वसा होते हैं, जिनका पाचन हमारा शरीर आसानी से नहीं कर पाता है ऐसी वसा जो कमरे के तापमान (25*C) पर भी ठोस रहती है अर्थात नहीं गलती है, इन्हें Bad Fat कहा जाता है। यह मुख्य रूप से पशु खाद्य पदार्थों से प्राप्त होते हैं,
अपवाद:- लेकिन कुछ पौधों के खाद्य पदार्थों में संतृप्त वसा पाया जाता है, जैसे नारियल का तेल , पाम तेल और पाम कर्नेल तेल।

Trans Fats

Trans Fats आमतौर पर उन्हें कहा जाता है, जिन्हें हाइड्रोजनीकरण प्रक्रिया द्वारा बनाया जाता है यह हमारे शरीर के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदेह होता है ट्रांस वसा हृदय, रक्त वाहिकाओं और शरीर के बाकी हिस्सों पर सबसे ज्यादा खराब प्रभाव छोड़ता है, यह शरीर में खराब एलडीएल की मात्रा को बढ़ा देता है, तथा अच्छे एचडीएल की मात्रा को कम कर देता है।

वसा के कार्य/ स्वास्थ्य लाभ :-

  1. वसा शरीर को विटामिन A,D,E और K को रक्तप्रवाह के माध्यम से अवशोषित और परिवहन करने में भी मदद करता है।
  2. वसा हमारे शरीर को ऊर्जा देने और कोशिका की निरंतर वृद्धि हेतु आवश्यक है।
  3. .वसा हमारे शरीर को गर्म रखने में मदद करती है।
  4. वसा हमारे शरीर के अंगों की रक्षा भी करती है चोटों से बचाती है।
  5. वसा हमारे शरीर में त्वचा के नीचे जमा होकर शरीर के तापमान को बाहर निकलने से रोकती है।
  6. जब हम व्रत करते हैं याभूखे होते हैं तब वसा हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है।

वसा की कमि या अधिकता से होने वाले विकार-

वसा की कमी से होने वाले विकार :

  1. शरीर में वजन की कमी होने लग जाती है।
  2. हमारी त्वचा रूखी हो जाती है।
  3. हमारे शरीर का विकास रुक जाता है।

वसा की अधिकता से होने वाले विकार :

  1. वसा की अधिकता से हमारे शरीर की चर्बी अर्थात वजन बढ़ने लगता है।
  2. अधिक वसा हमारे शरीर में रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ा सकती है जिससे हृदय संबंधित रोगहोने का खतराहोता है।
  3. इसके अतिरिक्त वजन बढ़ने से अनेक बीमारियां जैसे डायबिटीज, हार्ट अटैक,दमा, आर्थराइटिस आदि रोग होने की संभावना रहती है।

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FAQ:

LDL और HDL क्या है?

एचडीएल का पूर्ण रूप उच्च घनत्व लिपॉप्रोटीन (high-density lipoprotein) होता है, यह हमारे शरीर के लिए लाभदायक होते हैं, इसलिए इन्हें “GOOD FAT” कहा जाता है । जबकि एलडीएल का पूर्ण रूप निम्न घनत्व लिपॉप्रोटीन (low-density lipoprotein) होता है, यह हमारे शरीर के लिए हानिकारक होते हैं, इसलिए इन्हें “BAD FAT” कहा जाता है।

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