श्रीगुप्त
श्रीगुप्त का जीवन परिचय
📒आज हम गुप्त वंश से संबंधित श्री गुप्त के महत्वपूर्ण रोचक तथ्य और उनसे सम्बंधित इतिहास के बारें में कुछ बातों पर चर्चा करेंगे कि गुप्त वंश की स्थापना श्री गुप्त ने की थीं, इसी कारण इनको गुप्त वंश का संस्थापक माना जाता हैं। गुप्त वंश के अभिलेखों में गुप्तों का आदिपुरुष ” महाराज श्री गुप्त ” को कहा गया हैं। इन्होंने महाराज की उपाधि धारण की थीं। सामंतों की उपाधि महाराज होती थीं जिससे ज्ञात होता हैं कि श्री गुप्त किसी शासक के अधीन शासन करता था।

श्री गुप्त का शासनकाल
📒 श्री गुप्त, गुप्त वंश कि स्थापना कर 240 ईस्वी में राज सिंहासन पर बैठा था। इसका का शासनकाल लगभग 240 ईस्वी से लेकर लगभग 280 ईस्वी के मध्य माना जाता हैं।
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श्री गुप्त के बारें में जानकारी
📒हरिषेण के प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख से पता चलता हैं कि गुप्तों का प्रथम ऐतिहासिक शासक श्री गुप्त था। श्री गुप्त के बारें में चीनी यात्री इत्सिंग भी उल्लेख करता हैं। श्री गुप्त के समय की कुछ मुद्राएँ बनारस के पास से प्राप्त हुई हैं। इन मुद्रा में से एक मोहर पर ” गुप्तस्य ” और दूसरे मोहर पर ” श्री गुप्तस्य ” अंकित हैं। इतिहासकार के अनुसार ” गुप्त ” गुप्त वंश का प्रथम राजा का नाम था, राजा बनने के बाद उसने ” श्री ” की उपाधि धारण की थीं।
श्री गुप्त के महत्वपूर्ण रोचक तथ्य
📒श्रीगुप्त कुछ वर्षों तक मुरुण्डो के के अधीन शासक था, लेकिन बाद में उसने स्वतंत्रता प्राप्त कर महाराज की उपाधि धारण की थीं।
📒 गुप्त वंश के आदिराज के रूप में गुप्त का उल्लेख गुप्त सेना के पूर्व में स्थित ताम्रपत्र अभिलेख से मिलता हैं।
📒 श्रीगुप्त ने इत्सिंग के अनुसार एक मंदिर का निर्माण मगध में करवाया था और मंदिर के लिए 24 गाँव दान में दिए थे।
📒 श्रीगुप्त के बाद इसके उत्तराधिकारी के रूप में इसी का पुत्र घटोत्कच गुप्त वंश का शासक बना था। और 280 ईस्वी में राज सिंहासन पर बैठा था।