पाचन तंत्र क्या है? इसके अंग व ग्रंथियां

पाचन तंत्र क्या है?

आज से हम पढ़ने वाले हैं, कि हमारा पाचन तंत्र किस प्रकार से कार्य करता है और इसमें भाग लेने वाले अंग और ग्रंथियां कौन-कौन सी है, इनके बारे में हम विस्तार से चर्चा करेंगे और यह जानेंगे कि हमारा पाचन तंत्र क्या है, पाचन क्या होता है और उसमें कौन-कौन से अंग और ग्रंथियां भाग लेते हैं, इनकी विस्तार से चर्चा हम करेंगे

इससे पहले हम पढ़ चुके हैं-
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पाचन क्या है?

पाचन महत्वपूर्ण है क्योंकि आपके शरीर को ठीक से काम करने और स्वस्थ रहने के लिए भोजन और पेय से पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। भोजन में उपस्थित जटिल पोषक पदार्थों (कार्बोहाइड्रेट, वसा व प्रोटीन) का निर्माण पोषक पदार्थों के बड़े-बड़े अणुओं के समायोजन से होता है पाचन प्रक्रिया द्वारा इन पोषक पदार्थ को छोटे-छोटे पोषक तत्वों में तोड़ दिया जाता है जिन्हें हमारे शरीर के द्वारा आवश्यकता अनुसार ग्रहण कर लिया जाता है और इन पोषक तत्वों का उपयोग हमारा शरीर कोशिका की मरम्मत विकास और हमें ऊर्जा प्रदान करने के लिए करता है।
भोजन के पाचन की क्रिया पाँच चरणों-अन्तर्ग्रहण पाचन, अवशोषण, स्वांगीकरण तथा मल परित्याग में पूर्ण होती है।

पाचन तंत्र क्या है?

पाचन तंत्र क्या है?

पाचन तंत्र जठरांत्र पथ (gastrointestinal tract) से बना होता है – जिसे जीआई पथ या पाचन तंत्र भी कहा जाता है – भोजन के पाचन के लिए भौतिक व रासायनिक क्रियाएं विभिन्न अंगों द्वारा की जाती हैं। ये अंग मिलकर एक तंत्र का निर्माण करते हैं। जो हमारे शरीर में मुखगुहा से प्रारंभ होते हुए क्रमशः मुख जीभ ,ग्रसनी, ग्रासनली, आमाशय, छोटी आंत, बड़ी आंत और अंत में मलद्वार पर समाप्त होता है इसके अतिरिक्त इसमें कुछ पाचन ग्रंथियां अभी भाग लेती है जिसमें लार ग्रंथियां यकृत ग्रंथियां वह अग्नाशय शामिल है इन सभी अंगों व ग्रंथियां से मिलकर बने तंत्र को पाचन तंत्र कहा जाता है।

पाचन तंत्र में भाग लेने वाले अंग

पाचन तंत्र में भाग लेने वाले अंग व ग्रंथियां निम्नलिखित है-

(अ) अंग

(1) मुख (Mouth):-

मुँह एक छिद्र है जिसके माध्यम से भोजन शरीर के अंदर लिया जाता है। यह होठों से घिरा होता है और इसके अंदरूनी हिस्सों में गाल, जीभ, ऊपरी जबड़ा और निचला जबड़ा शामिल होता है।
मुख (Mouth) में शामिल दाँत (Teeth), जीभ (Tongue) होंठ (Lips) आदि को विस्तार से पढ़ने के लिए – यहां पर क्लिक करें

(2) ग्रसनी (Pharynx)

(3) ग्रासनली (Oesophagus)

ग्रसनी (Pharynx) और ग्रासनली (Oesophagus) को विस्तार से पढ़ने के लिए – यहां पर क्लिक करें

(4) आमाशय (Stomach):-

आमाशय (Stomach) को विस्तार से पढ़ने के लिए – यहां पर क्लिक करें

(5) छोटी आंत (Small intestine):-

छोटी आंत (Small intestine) को विस्तार से पढ़ने के लिए – यहां पर क्लिक करें

(6) बड़ी आंत (Large intestine):-

बड़ी आंत (Large intestine) को विस्तार से पढ़ने के लिए – यहां पर क्लिक करें

(7) मलद्वार (Rectum):-

मलद्वार (Rectum) को विस्तार से पढ़ने के लिए – यहां पर क्लिक करें

(ब) ग्रन्थियाँ

(1) लार ग्रन्थि (Salivary gland):-

लार ग्रन्थि (Salivary gland) को विस्तार से पढ़ने के लिए – यहां पर क्लिक करें

(2) यकृत ग्रन्थि (Liver):-

यकृत ग्रन्थि (Liver) को विस्तार से पढ़ने के लिए – यहां पर क्लिक करें

(3) अग्नाशय (Pancreas):-

अग्नाशय (Pancreas) को विस्तार से पढ़ने के लिए – यहां पर क्लिक करें

ऊपर जितने भी अंग व ग्रंथियां बताई गई यह सभी मिलकर एक आहारनाल (Alimentary Canal) का निर्माण करते हैं, जो हमारे शरीर के मुख गुहा से प्रारंभ होकर मलद्वार तक जाती है जिसकी लंबाई 9 से 10 मी अर्थात 33 फीट तक हो सकती है, आहारनाल (Alimentary Canal) कहलाती है आहार नाल का अन्य रूप में पोषण नाल (Digestive canal) भी कहा जाता है।

आहार नाल के तीन प्रमुख कार्य होते है-

(क) हमारे द्वारा ग्रहण किए गए भोजन को सरलीकृत करना ताकि उसका पाचन आसानी से कर सके।
(ख) जब भोजन का पाचन हो जाए तब उसका अवशोषण करना।
(ग) हमारे द्वारा ग्रहण किए गए आहार को मुख से मलद्वार तक ले जाने का कार्य करना।

पाचन तंत्र से संबंधित बीमारियां-

पीलिया, डायरिया, कब्ज, आदि बीमारियां पाचन तंत्र से संबंधित है, इन सभी बीमारियां के बारे में आपको विस्तार से जानना है, तो आप यहां पर क्लिककरें 

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