आज हम पढ़ने वाले हैं आमाशय (Stomach) क्या है, उस अंग के बारे में जो हमारे पाचन तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, मैं बात करने वाला हूं आज आमाशय के बारे में कि आमाशय किस प्रकार से हमारे भोजन को पचाने में मदद करता है और आमाशय से कौन-कौन से रस निकलते हैं और इसके कितने भाग होते हैं इसके बारे में हम आज पूरी विस्तार से बात करेंगे
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आमाशय (Stomach) क्या है?
आमाशय अल्फाबेट के J आकर के समान एक संरचना है इसकी रचना द्वीपालिका थेली जैसी होती है आमाशय के दीवारों पर जठर ग्रंथियाँ/Gastnic Glands पाई जाने के कारण इसे जठर भी कहा जाता है आमाशय की लंबाई 30 सेंटीमीटर तक होती है इसमें भोजन ग्रास नली से होते हुए प्रवेश करता है यह भोजन यहां परचार से पांच घंटे तक रहता है ताकि छोटी आंख में भेजने से पूर्व इसमें उपस्थित बैक्टीरिया को नष्ट किया जा सके और आमाशय के पाचक रस में स्थित एंजाइम भोजन में स्थित प्रोटीन को छोटे-छोटे कणों मे तोड़ देते हैं, जिससे प्रोटीन का पाचन आसान हो जाता है। यह एक लचीला अंग है जो एक से तीन लीटर तक आहार धारित कर सकता है।
जठर ग्रंथियाँ/Gastnic Glands
आमाशय के भीतरी दीवारों पर स्तंभआकर एपीथिलियम कोशिकाओं का स्तर पाया जाता है, यह कोशिकाओं का स्तर अंदर की और धसा रहता है अंदर की ओर धसी इन कोशिकाओं को जठर ग्रंथियां कहा जाता है, यह ग्रंथियां आमाशय में जठर रस का निर्माण करती है।
आमाशय से निकलने वाला HCL अर्थात हाइड्रोक्लोरिक एसिड भोजन को सड़ने से बचाता है अर्थात भोजन में उपस्थित बैक्टीरिया को KILL करने का कार्य HCL द्वारा किया जाता है, HCL का पीएच मान 1.5 से 1.8 तक होता है यह इतना खतरनाक होता है कि यह हमारी श्लेष्मा झिल्ली को जला सकता है इसे जलने से बचने के लिए म्यूकस कोशिकाओं द्वारा म्यूकस का स्त्राव किया जाता है जो आमाशय की दीवार तथा जठर ग्रंथियां को हाइड्रोक्लोरिक एसिड से जलने से बचाता है।
HCL के कार्य:
a. HCL पेप्सिनोजेन को पेप्सिन में परिवर्तित कर देता है, यह पेप्सिन प्रोटीन को पेप्टाइड या पेप्टोंस में बदल देता है।
b. HCL प्रोरेनिन को रेनिन में परिवर्तित कर देता है, रेनिन, मिल्क प्रोटीन अर्थात Casein को PARACasein में परिवर्तित कर देता है बाद में पेप्सिन इसे पेप्टाइड में परिवर्तित कर देता है।
c. टायलिन की क्रिया को बन्द करना।
d. HCLका कार्य भोजन को अम्लीय बनाना है, तथा जठर निर्गम गेट को नियंत्रित करना है।
FACT:- जब भोजन में HCLया आमाशय से निकल रस मिक्स हो जाता है, तब उस भोजन को काइम(CHYME) अर्थात अमाशय वाला भोजन कहा जाता है।
हमारे शरीर में आमाशय की स्थिति:
आहारनाल का ग्रासनली से आगे का भाग आमाशय हैं। अर्थात यह आमाशय, ग्रास नली और छोटी आंत के बीच में स्थित होता है।आमाशय उदरगुहा (Abdominal Cavity) में बायीं ओर स्थित होता है।
आमाशय को सामान्यतः तीन भागों में बांटा जा सकता है-
(a) कार्डियक (Cardiac) या जठरागम भाग
(b) बीच का फंडिस भाग (Fundic stomach) |
(c) जठरनिर्गमीय अवरोधिनी (Pyloric sphincter)
(a) कार्डियक (Cardiac):
कार्डियक ग्रसिका व आमाशय के बीच में विभाजक की तरह कार्य करती है, तथा यह आमाशय में उपस्थित अम्लीय भोजन को ग्रासनली में जाने से रोकती है।
आमाशय का आगे वाला भाग कार्डियक कहलाता है, यहा पर ग्रासनली से होते हुए भोजन आमाशय में प्रवेश करता है।
(b) बीच का फंडिस भाग (Fundic stomach):
आमाशय का मध्य भाग फंडिस भाग कहलाता है। फंडिस हमारे आमाशय के कार्डियक और पाईलोरिक का मध्य भाग है यह आमाशय के 80 प्रतिशत भाग का निर्माण करता है। यहां पर हमारा भोजन चार से पांच घंटे तक रहता है अर्थात इस भाग में ही वास्तव में पाचन क्रिया होती है। यह हमारे भोजन का एक से तीन लीटर तक स्टोर कर सकता है।
(c) जठर निर्गमी भाग (Pyloric part)-
आमाशय व छोटी आँत को विभाजित करती है तथा आमाशय से छोटी आंत्र में भोजन निकास को नियंत्रित करती है। आमाशय का पश्च या दाहिना भाग जठर निर्गमी भाग (Pyloric part) कहलाता है। यह भाग ग्रहणी (छोटी आँत) में खुलता है। इसके छिद्र पर एक पेशीय कपाट पाया जाता है, जो भोजन को आमाशय से ग्रहणी (आँत) में तो जाने देता है परन्तु ग्रहणी से आमाशय में नहीं जाने देता । इस कपाट को पाइलोरिक कपाट कहते हैं।