ईसाई धर्म
आज हम ईसाई धर्म क्या हैं? इससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य के बारें में। ईसाई धर्म की शुरुआत फिलिस्तान में प्रथम शताब्दी के दौरान हुई थीं। इस धर्म की स्थापना ईसा मसीह ( जीसस क्राइस्ट ) ने की थीं। इसलिए इनको ईसाई धर्म का संस्थापक या प्रवर्तक कहा जाता हैं। इस धर्म को ‘मसीही धर्म’ या ‘मसयहयत’ भी कहा जाता हैं। यह विश्व के प्रमुख धर्मों में से एक हैं जिसके जिसके ताबईन ईसाई कहलाते हैं।

ईसाई धर्म क्या हैं? इससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
ईसा मसीह
बाईबिल इस धर्म का प्रमुख ग्रन्थ हैं। ईसाईयों के पूजा स्थल को गिरिजाघर कहते हैं। ईसाई धर्म के पैरोकार ईसा मसीह की तालीमात पर अमल करते हैं।
ईसा मसीह का जन्म 6 ईस्वी पूर्व में इजराइल के रोमन साम्राज्य गैलिली प्रान्त के जेरुशेलम के निकट बैथलेहम में नाज़रेथ नामक स्थान पर हुआ था। इनके जन्म-दिवस 25 दिसम्बर को क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है। इन्होंने अपने जीवन के प्रथम 30 वर्ष एक बढ़ई के रूप में बिताए थे।
इनके पिता का नाम जोजेफ था जो की एक बढ़ई थे और इनकी माता का नाम मेरी ( मरियम ) था। यह दोनों यहूदी थे। मेरी को उसके माता-पिता ने देवदासी के रूप में ईसाई शास्त्रों के अनुसार मन्दिर को समर्पित कर दिया था। ईसा मसीह के मेरी के गर्भ में आगमन के समय ईसाई विश्वासों के अनुसार मेरी कुँवारी थी। इसीलिए मेरी को ईसाई धर्मावलम्बी ‘वर्जिन मेरी (कुँवारी मेरी) तथा ईसा मसीह को ईश्वरकृत दिव्य पुरुष मानते हैं।
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यहूदी लोग ईसा मसीह के जन्म के समय रोमन साम्राज्य के अधीन थे और उससे मुक्ति के लिए व्याकुल थे। उसी समय ज़ोर्डन घाटी में जॉन द बैप्टिस्ट नामक एक संत ने भविष्यवाणी की थी कि ईश्वर शीघ्र ही यहूदियों की मुक्ति के लिए एक मसीहा भेजने वाला है। उस समय ईसा की आयु बहुत कम थीं, परन्तु उनमें कई वर्षों के एकान्तवास के बाद अनेक विशिष्ट शक्तियों का संचार हुआ और उनके स्पर्श मात्र से गूंगों को वाणी, मृतकों को जीवन दान और अंधों को दृष्टि मिलने लगी थीं। अर्थात् ईसा को चारों और प्रसिद्धि मिलने लगी थीं। उन्होंने दीन दुखियों के प्रति प्रेम और सेवा का प्रचार किया।
एंडूस एवं पीटर इनके प्रमुख दो प्रथम शिष्य थे।
भारत में प्रथम शताब्दी ईस्वी में मद्रास के पास आकर इनके प्रमुख शिष्य में से एक संत टामस ने ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार किया था।
रोमन गवर्नर पोंटियस ने इनको 33 ईस्वी में सूली पर चढ़ाया था।
” गुड फ्राइडे ” इनके सूली पर चढ़ने और मानवता के लिए दिए गए बलिदान के रूप में मनाया जाता हैं।
ईसाई धार्मिक ग्रन्थ के अनुसार ईसा मसीह को सूली पर लटकाए जाने के तीसरे दिन यीशु मरे हुओं में से पुनर्जीवित हो गए थे। ” ईस्टर दिवस या ईस्टर रविवार ” के रूप में इस दिन को मनाया जाता हैं।
इस धर्म का सबसे पवित्र प्रतीक चिह्न ईद्भास/क्रॉस ✝️ हैं।

ईसाई धर्म के अनुसार मूर्तिपूजा, हत्या, व्यभिचार व किसी को भी व्यर्थ आघात पहुंचाना पाप है। चौथी सदी तक यह धर्म किसी क्रांति की तरह फैला, किन्तु इसके बाद ईसाई धर्म में अत्यधिक कर्मकांडों की प्रधानता तथा धर्मसत्ता ने दुनिया को अंधकार युग में धकेल दिया था। फलस्वरूप पुनर्जागरण के बाद से इसमें रीति-रिवाज़ों के बजाय आत्मिक परिवर्तन पर अधिक ज़ोर दिया जाता है।
इस धर्म के लोग त्रित्व में विश्वास रखते हैं।
- ईश्वर – पिता
- ईश्वर – पुत्र
- ईश्वर – पवित्र आत्मा
फ्रांस में आरंभिक भवनों की तुलना में 12वीं शताब्दी से अधिक ऊँचे व हल्के चर्चों के निर्माण प्रारंभ हुए थे पेरिस का नाट्रेडम चर्च इस वास्तुकलात्मक शैली का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं। ” गोथिक” नाम से इस वास्तुकला की शैली को जाना जाता हैं।
इस धर्म के अनेक सम्प्रदाय हैं जिनमें से तीन मुख्य हैं।
- कैथोलिक सम्प्रदाय
- आर्थोडोक्स सम्प्रदाय
- प्रोटैस्टैंट
ईसाई धर्म के सम्प्रदाय
- मसलन कैथोलिक
- प्रोटैस्टैंट
- आर्थोडोक्स
- मॉरोनी
- एवनजीलक
ईसाई धर्म के प्रमुख सम्प्रदाय
रोमन कैथोलिक चर्च
इस सम्प्रदाय को ‘अपोस्टोलिक चर्च’ भी कहते हैं। इस सम्प्रदाय में सर्वोच्च धर्मगुरु पोप को मानते हैं। यह वेटिकन में स्थित ईसा मसीह का आध्यात्मिक उत्तराधिकारी है और इस रूप में वह ईसाईयत का धर्माधिकारी है। अतः उनका निर्णय धर्म, आचार एवं संस्कार के विषय में अन्तिम माना जाता है। वेटिकन के सिस्टीन गिरजे में पोप का चुनाव इस सम्प्रदाय के श्रेष्ठ पादरियों (कार्डिनलों) द्वारा गुप्त मतदान से किया जाता है।
ऑर्थोडॉक्स
यह सम्प्रदाय वेटिकन के पोप को नहीं मानते हैं, लेकिन वह अपने-अपने राष्ट्रीय धर्मसंघ के पैट्रिआर्क को मानते हैं और परम्परावादी होते हैं।
प्रोटेस्टैंट
पोप की शक्ति 15-16वीं शताब्दी तक अवर्णनीय रूप से बढ़ गई थी और पोप का हस्तक्षेप सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक सभी मामलों में बढ़ गया था। 14वीं शताब्दी में पोप की इसी शक्ति को जॉन बाइक्लिफ़ ने चुनौती दी थीं और फिर बाद में मार्टिन लूथर (जर्मनी में) ने भी चुनौती दी थीं।,जिससे एक नवीन सुधारवादी ईसाई सम्प्रदाय-प्रोटेस्टैंट का जन्म हुआ था, यह अधिक उदारवादी दृष्टिकोण रखते हैं। यह बाईबिल में पुरी श्रद्धा रखते थे।
ईसाई धर्म का पवित्र ग्रन्थ बाइबिल
यह इस धर्म का पवित्र ग्रन्थ है, इस ग्रन्थ के दो भाग इस प्रकार हैं जैसे :- ओल्ड टेस्टामेंट ( पुराना नियम ) और न्यू टेस्टामेंट ( नया नियम )। ईसाईयों के अनुसार बाइबिल की रचना 2000-2500 वर्ष पूर्व विभिन्न व्यक्तियों द्वारा की गई थी। यह ग्रन्थ 9वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व से लेकर प्रथम शताब्दी ईस्वी के मध्य लिखे गये थे। इस ग्रन्थ में 73 लेख श्रृंखलाओं का संकलन किया गया है।

ओल्ड टेस्टामेंट ( पुराना नियम ) :- यह यहूदियों के धर्मग्रंथ तनख़ का ही संस्करण हैं। 46 लेख ओल्ड टेस्टामेंट में संकलित हैं यहूदियों के इतिहास धर्म कथाएँ और विश्वासों का वर्णन ओल्ड टेस्टामेंट में मिलता है।
न्यू टेस्टामेंट ( नया नियम ) :- न्यू टेस्टामेंट में 27 लेख संकलित हैं। तथा ईसाईयों के धर्म संबंधी विचार, विश्वास, ईसा मसीह के उपदेशों एवं जीवन का विवरण न्यू टेस्टामेंट में मिलता है।
भारत में ईसाई धर्म का विवरण
भारत में ईसाई धर्म का प्रवेश अत्यन्त प्राचीन काल में ही हो चुका था। भारत में प्रथम शताब्दी में मद्रास के पास आकर ईसा मसीह के प्रमुख शिष्यों में से एक संत टामस ने इस धर्म का प्रचार-प्रसार किया था। इस क्षेत्र में उसी समय से इस धर्म का स्वतंत्र रूप में प्रचार-प्रसार होता रहा है। पुर्तग़ालियों के साथ रोमन 16वीं शताब्दी में आये। इनका सम्पर्क पोप के कैथोलिक चर्च से कैथोलिक धर्म प्रचारकों के माध्यम से हुआ। परन्तु भारत के कुछ इसाईयों ने जेकोबाइट चर्च की स्थापना की और पोप की सत्ता को अस्वीकृत कर दिया। भारत में वर्तमान में ईसाई धर्मावलम्बियों की संख्या 1 करोड़ 65 लाख के करीबन हैं। यह जनसंख्या देश की कुल जनसंख्या के 2.5% में करीब हैं। कैथोलिक चर्च से सम्बंधित तीन शाखाएँ केरल में देखने को मिलती हैं।
- सीरियन मलाबारी
- सीरियन मालाकारी
- लैटिन।
ईसाई धर्म के प्रमुख पवित्र तीर्थं स्थल

- चर्च ऑफ नेटिविटी, बेथलेहम (फिलिस्तीन, इसराइल)
- गोल, गोथा (यरुशलम, इसराइल)
- चर्च ऑफ द होली स्कल्प्चर (यरुशलम, इसराइल)
- वेटिकन सिटी (रोम, इटली)
- सेंट थॉमस चर्च (भारत)
- बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस (गोवा, भारत)