कण्ड राजवंश के सम्पूर्ण इतिहास की जानकारी

कण्ड वंश

कण्ड राजवंश 

👉 कण्ड राजवंश की स्थापना वासुदेव द्वारा 73 ईसा पूर्व में शुंग वंश के अंतिम शासक देवभूति की हत्या कर की थीं। इस वंश का संस्थापक वासुदेव को माना जाता हैं, वासुदेव देवभूति के दरबार के मंत्री थे। इस वंश का कार्यकाल 73 ईसा पूर्व से लेकर 28 ईसा पूर्व के मध्य माना जाता हैं। इस वंश के शासको ने लगभग 45 वर्ष तक शासन किया था।

कण्ड वंश

👉 इस वंश का अंतिम शासक था। इस वंश के बाद सातवाहन वंश की नींव सिमुक ने की थीं। सिमुक ने इस राजवंश के अंतिम शासक सुशर्मन की हत्या 28 ईसा पूर्व में कर एक नए राजवंश सातवाहन वंश की नींव रखी थीं। 

👉 इस वंश को कण्वलय के नाम से भी जाना जाता हैं।  इस वंश का नाम वासुदेव ने अपने गौत्र के नाम पर रखा था। उत्तर पश्चिमी क्षेत्र यूनानियों के अधीन था और गंगा के मैदानी इलाकों के कुछ हिस्से विभिन्न शासकों के अधीन थे। वैदिक धर्म एवं संस्कृति संरक्षण की जो परम्परा शुंगो ने शुरू की थी। उसे कण्व वंश के शासको ने जारी रखा था।

👉 इस वंश की राजधानी या तो पाटलिपुत्र थीं या विदिशा थीं। इस वंश के शासक को ब्राह्मण कहा जाता था।

शुंग वंश से संबंधित इतिहास की महत्वपूर्ण जानकारी

कण्ड वंश की जानकारी

👉 इस वंश की जानकारी बाणभट्ट द्वारा रचित हर्षचरित में मिलता हैं। हर्षचरित में इस वंश की स्थापना वासुदेव द्वारा की गई हैं। इसका वर्णन किया गया हैं।

👉 इस वंश में पुराणों के अनुसार चार राजा थे। यह निम्नानुसार हैं।

 कण्ड वंश के शासको की सूची और उनका शासनकाल

कण्ड राजवंश के शासको का वर्गीकरण

वासुदेव

👉 यह कण्ड राजवंश का संस्थापक माना जाता हैं। इसने 73 ईस्वी पूर्व में शुंग वंश के शासक देवभूति की हत्या कर इस वंश की स्थापना की थीं। यह कण्ड वंश का प्रवर्तक था।

👉 इसने शुंग वंश के पूर्वी भारत और मध्य भारत के कुछ हिस्सों को अपने अधिकार क्षेत्र में मिला लिया था।

👉 इसका का कार्यकाल 73 ईस्वी पूर्व से लेकर 66 ईस्वी पूर्व के मध्य माना जाता हैं। इसने कण्ड वंश पर लगभग सात वर्षों तक शासन किया, इसके बाद इसके उत्तराधिकारी के रूप में इसके पुत्र भूमिमित्र ने शासन किया।

भूमिमित्र

👉 यह कण्ड वंश का दूसरा सम्राट माना जाता हैं। यह सम्राट वासुदेव का पुत्र था। इसने लगभग 14 वर्षों तक इस वंश पर शासन किया।

👉 किंवदंती भूमिमित्र को धारण करने वाले सिक्के पंचाल क्षेत्र से खोजे गए हैं। पौराणिक कथा “कण्वस्या” के साथ तांबे के सिक्के भी विदिशा से मिले हैं, साथ ही वत्स क्षेत्र  कौशाम्बी  से भी मिले हैं। 

👉 इसका कार्यकाल 66 ईस्वी पूर्व से लेकर 52 ईस्वी पूर्व के मध्य माना जाता हैं। इसके बाद इसके उत्तराधिकारी के रूप में अपने पुत्र नारायण ने राज्य पर शासन किया था।

नारायण

👉 यह कण्ड वंश का तीसरा सम्राट था। यह सम्राट भूमिमित्र का पुत्र था। यह भूमिमित्र के उत्तराधिकारी रूप में 52 ईस्वी पूर्व में राज सिंहासन पर बैठा था। इसने कण्ड वंश पर लगभग 12 वर्षों तक राज किया था। इसका शासनकाल 52 ईस्वी पूर्व से लेकर 40 ईस्वी पूर्व के बीच माना जाता हैं। नारायण के बाद इसके उत्तराधिकारी के रूप में इसने अपने पुत्र सुशर्मन को राजगद्दी सौंप दी थीं।

सुशर्मन 

👉 यह कण्ड वंश का अंतिम शासक था। यह सम्राट नारायण का पुत्र था। इसने लगभग 12 वर्षों तक शासन किया था। बाद में इसकी हत्या 28 ईस्वी पूर्व में सिमुक ने की थीं और एक नए राजवंश सातवाहन वंश की स्थापना की थीं। इसका कार्यकाल 40 ईस्वी पूर्व से लेकर 28 ईस्वी पूर्व के बीच माना जाता हैं।

कण्ड राजवंश का अंत

👉 इस वंश का अंतिम शासक सुशर्मन था। इसकी हत्या सिमुक द्वारा 28 ईस्वी पूर्व में की गई थीं और सिमुक द्वारा एक नए राजवंश सातवाहन वंश की नींव रखी गई थीं। तब इस वंश का अंत हो गया था।

👉 कण्व राजाओं के लिए पुराणों में एक स्थान पर ‘प्रणव-सामन्त’ का विशेषण भी दिया गया है, जिससे यह ज्ञात है कि अन्य राजाओं को अपनी अधीनता स्वीकार कराने में कण्व राजाओं ने सफलता प्राप्त की थी।

कण्ड वंश का संस्थापक कौन था?

कण्ड वंश का संस्थापक वीर सम्राट वासुदेव था।

कण्ड वंश का सबसे शक्तिशाली राजा कौन था?

कण्ड वंश का सबसे शक्तिशाली राजा वासुदेव था।

कण्ड वंश का सबसे अंतिम शासक कौन था जिसकी हत्या सातवाहन वंश के शासक सिमुक ने की थीं?

कण्ड वंश का अंतिम शासक सुशर्मन था। इसकी हत्या 28 ईस्वी पूर्व में सिमुक ने कर एक नए वंश सातवाहन वंश की स्थापना की थीं।

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