चन्द्रगुप्त प्रथम
चन्द्रगुप्त प्रथम का जीवन परिचय
• आज हम चन्द्रगुप्त प्रथम के इतिहास के बारें में महत्वपूर्ण फैक्ट को जानने की कोशिश करेंगे। कि गुप्त वंश के शासक घटोत्कच के उत्तराधिकारी के रूप में उसका पुत्र चन्द्रगुप्त प्रथम गुप्त वंश का शासक बना था। यह गुप्त वंश का प्रथम महान सम्राट और गुप्त वंश का वास्तविक संस्थापक भी था। यह लगभग 320 ईस्वी में राजसिंहासन पर बैठा था। इसका शासनकाल लगभग 320 ईस्वी से लेकर 335 ईस्वी के मध्य माना जाता हैं। इसने लगभग 15 वर्षों तक शासन किया था।
• इसने 319 या 320 ईस्वी में गुप्त संवत् की शुरुआत की थीं। इसका उल्लेख मथुरा अभिलेख से मिलता हैं। इसी दिन इसका राज्याभिषेक भी हुआ था।
• यह गुप्त साम्राज्य का प्रथम स्वतंत्र शासक था जिसने ” महाराजाधिराज ” की उपाधि धारण की थीं। उपाधि धारण कर इसने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र को बनाया था।
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चन्द्रगुप्त प्रथम के शासनकाल के सिक्के
• इसने सोने के सिक्के चलवाये थे जिसके एक तरफ लक्ष्मी का चित्र और दूसरी तरफ चन्द्रगुप्त कुमारदेवी का चित्र अंकित था।
चन्द्रगुप्त प्रथम का विवाह
• इसका विवाह लिच्छवि की राजकुमारी कुमार देवी से हुआ था। इसने अपने राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए विवाह किया था। इसने विवाह करके अपनी शक्ति और साम्राज्य की वृद्धि की थीं। और उनसे वैशाली राज्य प्राप्त किया था। तीसरी शताब्दी के अंत तक भारत में राजशाही और गैर राजशाही दोनों तरह के कई स्वतंत्र राज्य शामिल थे।
चन्द्रगुप्त प्रथम के इतिहास के बारें में महत्वपूर्ण फैक्ट
• इसने लिच्छवियों की राजकुमारी कुमारदेवी से विवाह करके अपने साम्राज्य की वृद्धि की थीं। उसके शासनकाल के अंत तक उसका राज्य पश्चिम में वर्तमान इलाहबाद शहर तक फैल गया था। तथा इसके क्षेत्र में दक्षिणी बिहार और अयोध्या भी शामिल थे।
• चंद्रगुप्त प्रथम बंगाल से प्रारम्भ कर पश्चिम में अयोध्या और प्रयाग तक के विशाल प्रदेश का स्वामी था।
• चन्द्रगुप्त प्रथम के बाद इसके उत्तराधिकारी के रूप में इसका पुत्र समुद्रगुप्त, गुप्त वंश का शासक बना था।