वैष्णव धर्म
वैष्णव धर्म की उत्पत्ति एवं विकास
👉 उपनिषदों में वैष्णव धर्म के विषय की प्रारंभिक जानकारी मिलती है। भगवत धर्म से इस धर्म का विकास हुआ हैं। पंचरात्र नारायण के पूजक कहे जाते थे।
👉 ईश्वर के रूप में वैष्णव धर्म के लोग भगवान विष्णु मानते हैं इस धर्म का पुराना नाम भागवत धर्म या पांचरात्र मत है, वासुदेव इस धर्म के प्रधान उपास्य देव हैं, जिन्हें, ज्ञान, शक्ति, बल, वीर्य, ऐश्वर्य और तेज- इन 6: गुणों से सम्पन्न होने के कारण भगवान या ‘भगवत’ कहा गया है और भगवत के उपासक भागवत कहलाते हैं. वैष्णव के बहुत से उप संप्रदाय जैसे – सखी, गोड़ीय, राधावल्लभ, निम्बार्क, माध्व, दास, वल्लभ, बैरागी और रामानंद हैं। वैष्णव का मूलरूप आदित्य या सूर्य देव की आराधना में मिलता हैं।
👉 भगवान कृष्ण वैष्णव धर्म के प्रवर्तक थे, जो वृषण कबीले के थे और उनका निवास स्थान मथुरा था।
👉 सर्वप्रथम छांदोग्य उपनिषद् में कृष्ण का उल्लेख देवकी-पुत्र और अंगिरस के शिष्य के रूप में हुआ था। बेसनगर स्तम्भ अभिलेख में वासुदेव कृष्ण कै सबसे पहले अभिलेखों का उल्लेख पाया गया है।
👉 वैष्णव धर्म के मंदिरों में विष्णु, राम और कृष्ण की मूर्तियां होती हैं, यह एकेश्वरवाद के प्रति कट्टर नहीं हैं।
👉 इस धर्म के संन्यासी सिर मुंडाकर चोटी रखते हैं। दशाकर्म के दौरान इस धर्म के अनुयायी सिर मुंडाते वक्त चोटी रखते हैं। यह सभी दिन में अनुष्ठान करते हैं। इस धर्म के लोग सात्विक मंत्रों को महत्व देते हैं।
👉 इस धर्म के लोग जनेऊ धारण कर पितांबरी वस्त्र पहनते हैं और हाथ में दंडी तथा कमंडल रखते हैं। वैष्णव धर्म के लोग सूर्य पर आधारित व्रत उपवास करते हैं। वैष्णव धर्म में दाह संस्कार की रीति हैं। इस धर्म के लोग चंदन का खड़ा तिलक लगाते हैं। इस धर्म के साधुओं को संत, स्वामी और आचार्य कहा जाता हैं।
मत्स्यपुराण में विष्णु के दस अवतारों का उल्लेख मिलता है। यह अवतार निम्नलिखित हैं-
मत्स्य, कच्छप, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि ।
नोट :- विष्णु का वराह अवतार गुप्तकाल में अत्यधिक प्रसिद्ध था।
विष्णु के 24 अवतार शास्त्रों में माने गए हैं, इनका क्रम निम्नानुसार हैं।
आदि परषु, चार सनतकुमार, वराह, नारद, नर-नारायण, कपिल, दत्तात्रेय, याज्ञ, ऋषभ, पृथु, मतस्य, कच्छप, धनवंतरी, मोहिनी, नृसिंह, हयग्रीव, वामन, परशुराम, व्यास, राम, बलराम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि
👉 ईश्वर को प्राप्त करने के लिए वैष्णव धर्म में सर्वाधिक महत्व भक्ति को दिया गया है। भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र में छः तिलियाँ हैं।
👉 इस दर्शन के अनुसार, मनुष्य भगवान से भिन्न और अभिन्न दोनों है।
👉 वैष्णव विचारधारा का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है,
वैष्णव ग्रंथ इस प्रकार हैं।
ईश्वर संहिता, पाद्मतन्त, विष्णुसंहिता, शतपथ ब्राह्मण, ऐतरेय ब्राह्मण, महाभारत, रामायण, विष्णु पुराण
वैष्णव धर्म के प्रमुख तीर्थं स्थल
क्र.सं. | तीर्थं स्थल |
---|---|
1. | बद्रीनाथ |
2. | मथुरा |
3. | अयोध्या |
4. | तिरुपति बालाजी |
5. | श्रीनाथ |
6. | द्वारकाधीश |
👉 कंबोडिया (कंबोज) में अंकोरवाट का मंदिर वही के राजा सूर्यवर्मा द्वितीय ने 1113 ईस्वी से 1150 ईस्वी के मध्य में बनवाया था। इस मंदिर में भगवान विष्णु की लगभग 10.5 फीट ऊँची मूर्ति स्थापित है।
वैष्णव धर्म के प्रमुख सम्प्रदाय, मत और उनके आचार्य
क्र.सं. | प्रमुख सम्प्रदाय | मत | आचार्य |
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1. | वैष्णव सम्प्रदाय | विशिष्टाद्वैत | रामानुज |
2. | ब्रह्म सम्प्रदाय | द्वैत | आनन्दतीर्थ |
3. | रुद्र सम्प्रदाय | शुद्धाद्वैत | वल्लभाचार्य |
4. | सनक सम्प्रदाय | द्वैताद्वैत | निम्बार्क |
वैष्णव धर्म के प्रमुख सम्प्रदाय
वैष्णव सम्प्रदाय
👉 वैष्णव सम्प्रदाय, भगवान विष्णु और उनके स्वरूपों को आराध्य मानने वाला सम्प्रदाय है। इसके अन्तर्गत मूल रूप से चार संप्रदाय आते हैं। मान्यता अनुसार पौराणिक काल में विभिन्न देवी-देवताओं द्वारा वैष्णव महामंत्र दीक्षा परंपरा से इन संप्रदायों का प्रवर्तन हुआ है। वर्तमान में ये सभी संप्रदाय अपने प्रमुख आचार्यो के नाम से जाने जाते हैं। यह सभी प्रमुख आचार्य दक्षिण भारत में जन्म ग्रहण किए थे।
श्री सम्प्रदाय
👉श्री सम्प्रदाय को वर्तमान में रामानुज सम्प्रदाय भी कहा जाता हैं, इस सम्प्रदाय के आद्य प्रवर्तक आचार्य रामानुजाचार्य और विष्णुपत्नी महालक्ष्मीदेवी हुए।
ब्रह्म सम्प्रदाय
👉ब्रह्म सम्प्रदाय को वर्तमान में माध्व सम्प्रदाय भी कहा जाता हैं, इस सम्प्रदाय के आद्य प्रवर्तक आचार्य माधवाचार्य और चतुरानन ब्रह्मादेव हुए।
रुद्र सम्प्रदाय
👉रुद्र सम्प्रदाय को वर्तमान में वल्लभ सम्प्रदाय भी कहा जाता हैं, इस सम्प्रदाय के आद्य प्रवर्तक आचार्य श्री विष्णुस्वामी और देवादिदेव महादेव हुए, इसी कारण इस संप्रदाय को विष्णुस्वामी संप्रदाय के नाम से जाना जाता हैं।
कुमार सम्प्रदाय
👉 कुमार संप्रदाय को वर्तमान में निम्बार्क सम्प्रदाय भी कहा जाता हैं, इस सम्प्रदाय के आद्य प्रवर्तक आचार्य निम्बार्काचार्य और सनतकुमार गण हुए।
वैष्णव धर्म के प्रमुख सम्प्रदाय, संस्थापक और उनकी पुस्तकें
क्र.सं. | प्रमुख सम्प्रदाय | संस्थापक | पुस्तक |
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1. | बरकरी | नामदेव | – |
2. | श्रीवैष्णव | रामानुज | ब्रह्मसूत्र |
3. | परमार्थ | रामदास | दासबोध |
4. | रामभक्त | रामानन्द | अध्यात्म रामायण |