मौर्य साम्राज्य की नींव
मौर्य साम्राज्य का उत्थान
👉🏻 मौर्य वंश का नींव चन्द्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की सहायता से नन्द वंश के शासक घनानंद की हत्या कर की थीं यह साम्राज्य गंगा नदी के मैदानों ( बंगाल और बिहार के आस-पास ) से शुरू हुआ हैं। इस वंश की राजधानी पाटलिपुत्र थीं।
प्रांतीय प्रशासन
👉🏻 मौर्य साम्राज्य को चार प्रांतों में विभाजित किया गया था। इन प्रान्त में से पूर्वी भाग की राजधानी तौसाली, दक्षिणी भाग की राजधानी सुवर्णगिरि, उत्तरी भाग की राजधानी तक्षशिला तथा पश्चिमी भाग की राजधानी उज्जैन (उज्जयिनी) थी। इसके अलावा महत्वपूर्ण नगर समापा, कौशाम्बी तथा इशिला भी थे। राज्य के शासक कुमार होते थे जो स्थानीय प्रांतों के शासक थे। कुमार की मदद के लिए हर प्रांत में एक मंत्रिपरिषद तथा महामात्य होते थे। प्रांत आगे जिलों में बंटे होते थे। प्रत्येक जिला गाँव के समूहों में बंटा होता था। तथा प्रादेशिक जिला प्रशासन का प्रधान होता था। रज्जुक जमीन को मापने का काम करता था। प्रशासन की सबसे छोटी इकाई गाँव थी जिसका प्रधान ग्रामिक कहलाता था।
मौर्य वंश की जानकारी
👉🏻 इस वंश की जानकारी विष्णु पुराण से मिलती हैं। विष्णुगुप्त ( चाणक्य या कौटिल्य) द्वारा लिखित अर्थशास्त्र नामक ग्रन्थ से मौर्यों के प्रशासन तथा चन्द्रगुप्त मौर्य के बारें में जानकारी मिलती हैं।
अन्य ग्रंथों में
कथासरित्सागर | सोमदेव |
वृहत्कथामंजरी | क्षेमेन्द्र |
महाभाष्य | पतंजलि |
कल्पसूत्र | भद्रबाहू |
पुरातात्विक सामग्रियों में काली पॉलिश वाले मृदभांड तथा चांदी और ताँबे के आहत सिक्के मुख्य हैं जो बुलन्दीबाग, कुम्हरार, पटना, जयमंगलगढ़ आदि जगह से प्राप्त हुए हैं।
मौर्य शासक कौन-कौन थे
क्र. सं. | शासक | शासनकाल |
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1. | चन्द्रगुप्त मौर्य | 322 ईसा पूर्व से 298 ईसा पूर्व |
2. | बिन्दुसार | 298 ईसा पूर्व से 272 ईसा पूर्व |
3. | अशोक | 273 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व |
4. | दशरथ मौर्य | 232 ईसा पूर्व से 224 ईसा पूर्व |
5. | सम्प्रति | 224 ईसा पूर्व से 215 ईसा पूर्व |
6. | शालिसुक | 215 ईसा पूर्व से 202 ईसा पूर्व |
7. | देववर्मन | 202 ईसा पूर्व से 195 ईसा पूर्व |
8. | शतधन्वन मौर्य | 195 ईसा पूर्व से 187 ईसा पूर्व |
9. | बृहद्रथ मौर्य | 187 ईसा पूर्व से 180 ईसा पूर्व |
चन्द्रगुप्त मौर्य
👉🏻 चन्द्रगुप्त मौर्य ने कौटिल्य की सहायता से नन्द वंश के अंतिम शासक घनानंद की हत्या कर 25 वर्ष की उम्र में 322 ईसा पूर्व में मगध की राजगद्दी पर बैठा था। इसका कार्यकाल 322 ईसा पूर्व से 298 ईसा पूर्व के मध्य था। इसका जन्म 345 ईसा पूर्व हुआ था। यह जैन धर्म का अनुयायी था। प्रथम अखिल भारतीय साम्राज्य की स्थापना इसी ने की थीं। इसने सुदर्शन झील का निर्माण करवाया था।
👉🏻 चन्द्रगुप्त मौर्य को विदेशी विवरणकारों में जस्टिन और स्ट्रैबो ने सेन्ड्रोकोटट्स कहा हैं। सेन्ड्रोकोटट्स की पहचान चद्रगुप्त के रूप में विलियम जोन्स ने की थीं।
👉🏻 चाणक्य चन्द्रगुप्त का प्रधानमंत्री था चाणक्य ने अर्थशास्त्र नामक पुस्तक लिखी थीं। इस पुस्तक का संबंध राजनीति से हैं। चाणक्य को भारत का मैकयावेली कहा जाता हैं। इसने अर्थशास्त्र में राज्य की कृति का वर्णन किया हैं। चाणक्य ने राज्य के सात अंग बताये हैं – जनपद, स्वामी, अमात्य, दुर्ग, कोष, दंड या सेना और मित्र। इसे सप्तांग कहते हैं। मुद्राराक्षस विशाखादत्त की पुस्तक में चन्द्रगुप्त के लिए वृषल ( निम्न कुल से उत्पन्न ) शब्द का उपयोग किया गया हैं।
👉🏻 सेल्यूकस निकेटस का चद्रगुप्त के साथ 305 ईसा पूर्व में युद्ध हुआ उसमे सेल्यूकस निकेटर पराजित हो गया। तब उसने अपनी पुत्री कार्नेलिया का विवाह चन्द्रगुप्त के साथ करवा दिया था और युद्ध की सन्धि शर्तों के अनुसार काबुल, कन्धार, हेरात, मकरान, बलूचिस्तान और पंजाब सभी प्रांतों को चन्द्रगुप्त को सौंप दिया था।
👉🏻 सेल्यूकस निकेटर का राजदूत मेगस्थनीज था यह यूनानी यात्री था। इण्डिका नामक पुस्तक मेगस्थनीज ने लिखी थीं। सेल्यूकस निकेटर ने अपने राजदूत के रूप में मेगस्थनीज को चन्द्रगुप्त के दरबार में भेजा था।
👉🏻 सेल्यूकस निकेटर और चन्द्रगुप्त मौर्य के बीच हुए युद्ध का वर्णन एप्पियानस ने किया था। चद्रगुप्त ने सेल्यूकस को प्लूटार्क के अनुसार 500 हाथी उपहार में दिए थे।
👉🏻 इसने जैन भिक्षु भद्रबाहु से कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में अंतिम समय में दीक्षा ली थीं। उसके बाद उन्होंने 298 ईसा पूर्व में श्रवणबेलगोला में उपवास द्वारा अपने प्राण त्याग दिए थे।
चन्द्रगुप्त मौर्य की सैन्य व्यवस्था
👉🏻 सैन्य व्यवस्था को छः भागों में विभक्त किया गया था। प्रत्येक भाग में पाँच सैन्य विशेषज्ञ होते थे।
रथ सेना, गज सेना, अश्व सेना, नौ सेना तथा पैदल सेना।
👉🏻 अन्तपाल सैनिक प्रबन्ध का सर्वोच्च अधिकारी कहलाता था। यह सीमान्त क्षेत्रों का व्यवस्थापक भी होता था। चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना में मेगस्थनीज के अनुसार आठ सौ रथ, नौ हजार हाथी, पचास हजार अश्वारोही तथा छः लाख पैदल सेना शामिल थीं।
बिन्दुसार
👉🏻 चन्द्रगुप्त मौर्य के बाद मौर्य साम्राज्य का उत्तराधिकारी बिन्दुसार को बनाया गया। जो 298 ईसा पूर्व में मगध की गद्दी पर बैठा था। इसका कार्यकाल 298 ईसा पूर्व से 272 ईसा पूर्व के मध्य था। बिन्दुसार को यूनानी लेखों में अमित्रघात के नाम से जाना जाता हैं, अमित्रघात का अर्थ ” शत्रुओं का विनाश करने वाला ” हैं। यह आजीवक सम्प्रदाय का अनुयायी था। इस सम्प्रदाय की स्थापना मक्खलिपुत्र गोशाल ने की थीं।
👉🏻 इसने सीरिया के शासक एण्टियोकस से सूखे अंजीर, मदिरा और एक दार्शनिक की माँग की थीं। सीरिया के शासक एण्टियोकस ने स्ट्रेबों के अनुसार बिन्दुसार के दरबार में राजदूत के रूप में डाइमेकस को भेजा था। मेगस्थनीज का उत्तराधिकारी डाइमेकस को माना जाता हैं।
👉🏻 तक्षशिला ( सिन्धु और झेलम नदी के बीच ) में हुए दो विद्रोह बिन्दुसार के शासनकाल में हुए थे। इस विद्रोह को दबाने के लिए पहले बिन्दुसार ने सुसीम को भेजा था और बाद में अशोक को भेजा था।
👉🏻 बिन्दुसार को 16 राज्यों का विजेता बौद्ध विद्वान् तारानाथ ने बताया हैं।
👉🏻 500 सदस्यों वाली एक मंत्रिपरिषद बिन्दुसार की सभा में थीं इसका प्रधान खल्लाटक था।
मौर्य साम्राज्य के पतन का कारण
अशोक के उत्तराधिकारी अयोग्य निकले। इस वंश का अंतिम शासक बृहद्रथ मौर्य था। बृहद्रथ की हत्या 185 ई.पू. में उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने की थीं और शुंग वंश नामक एक नये राजवंश की स्थापना की थीं।