शुंग वंश
👉 शुंग वंश की नींव पुष्यमित्र शुंग ने 185 ईस्वी पूर्व में बृहद्रथ की हत्या करके की थीं। इस वंश का कार्यकाल 185 ईस्वी पूर्व से 73 ईस्वी पूर्व के मध्य माना जाता हैं। इस वंश की राजधानी पहले पाटलिपुत्र थीं बाद में इसको स्थानांतरित कर इस वंश की राजधानी मध्यप्रदेश के विदिशा को बनाई गई थीं। यह वंश मगध पर शासन करने वाला सातवाँ राजवंश था।
👉 इस वंश का प्रथम शासक पुष्यमित्र शुंग था, उसके बाद उसके उत्तराधिकारी के रूप में उसका पुत्र अग्निमित्र और इसी प्रकार उसका उत्तराधिकारी उसका पुत्र वसुमित्र शासक बना। वसुमित्र के बाद कुछ कमजोर अंधक, वज्रमित्र, भागभद्रा और देवभूति के नाम उल्लेखनीय है। इस वंश का अंतिम शासक देवभूति था, उसके साथ ही शुंग वंश समाप्त हो गया था। इस वंश के शासक वैदिक धर्म के मानने वाले थे। इनके समय में भागवत धर्म की विशेष उन्नति हुई।
👉 इस वंश के दौरान बनाया गया भरहुत स्तूप, एक प्रसिद्ध स्मारक है। शुंग कला के उदाहरण चैत्य, विहार, भाजा के स्तूप और नासिका चैत्य हैं।
कण्ड राजवंश के सम्पूर्ण इतिहास की जानकारी
अशोक के इतिहास के बारें में महत्वपूर्ण जानकारी
शुंग राजवंश के कुल दस शासक हुए हैं उनमें से निम्न हैं
क्र.सं. | शासक | शासनकाल |
---|---|---|
1. | पुष्यमित्र शुंग | 185 ईसा पूर्व से लेकर 149 ईसा पूर्व तक |
2. | अग्निमित्र | 149 ईसा पूर्व से लेकर 141 ईसा पूर्व तक |
3. | वसुज्येष्ठ | 141 ईसा पूर्व से लेकर 131 ईसा पूर्व तक |
4. | वसुमित्र | 131 ईसा पूर्व से लेकर 124 ईसा पूर्व तक |
5. | अन्धक | 124 ईसा पूर्व से लेकर 122 ईसा पूर्व तक |
6. | पुलिन्दक | 122 ईसा पूर्व से लेकर 119 ईसा पूर्व तक |
7. | घोष शुंग | —– |
8. | वज्रमित्र | —— |
9. | भागभद्रा | 110 ईसा पूर्व |
10. | देवभूति | 87 ईसा पूर्व से लेकर 73 ईसा पूर्व तक |
पुष्यमित्र शुंग
👉 यह बृहद्रथ का सेनापति था। इसने बृहद्रथ की हत्या कर शुंग राजवंश की स्थापना की थीं। यह शुंग वंश का पहला शासक था। इसका कार्यकाल 185 ईसा पूर्व से 149 ईसा पूर्व के मध्य था। यह ब्राह्मण धर्म का अनुयायी था।
👉 यह रूढ़िवादी हिंदू धर्म का कट्टर समर्थक था।
👉 इसने इण्डो-यूनानी शासक मिनांडर को पराजित किया था।
👉 इसका पुत्र अग्निमित्र इसके बाद इसका उत्तराधिकारी बना था, जो एक पुरुष नायक कालिदास के नाटक मालविकाग्निमित्र में था।
👉 इसने दो बार अश्वमेध यज्ञ किया। इनके लिए पतंजलि ने अश्वमेध यज्ञ कराए थे।
👉 इसने अधिकतर उत्तर भारत का हिस्सा अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया। पंजाब के जालन्धर में शुंग राज्य के शिलालेख मिले हैं और यह राज्य दिव्यावदान के अनुसार सांग्ला (वर्तमान सियालकोट) तक विस्तृत था।
👉 महाभाष्य में पतंजलि और पाणिनि की अष्टाध्यायी के अनुसार पुष्यमित्र शुंग भारद्वाज गोत्र के ब्राह्मण थे। महाभारत के हरिवंश पर्व के अनुसार वो कश्यप गोत्र के ब्राह्मण थे।
👉 इसने बौद्ध धर्म का विनाश कर दिया था। उसके बाद जो भी बौद्ध धर्म के अनुयायी थे, उन सबको मौत के घाट उतार दिया। और बाकी बचे हुए बौद्धिस्ट का धर्म परिवर्तन करवाया गया। इसने जो वैदिक धर्म की पताका फहराई। इस धर्म के ज्ञान को पूरे विश्व में फैलाने का श्रेय उसी के आधार को सम्राट विक्रमादित्य व गुप्त साम्राज्य को जाता हैं।
पुष्यमित्र का शासन प्रबन्ध
👉 इसकी राजधानी पहले पाटलिपुत्र थी बाद में इसको विदिशा स्थानांतरित कर दिया गया था। यह प्राचीन मौर्य साम्राज्य के मध्यवर्ती भाग को सुरक्षित रख सकने में सफल रहा। इसका साम्राज्य पश्चिम में पंजाब से लेकर पूर्व में मगध तक तथा उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में बरार तक फ़ैला हुआ था। दिव्यावदान और तारानाथ के अनुसार जालन्धर और सांग्ला अर्थात् सियालकोट पर भी उसका अधिकार था। साम्राज्य के विभिन्न भागों में राज्यपाल, राजकुमार या राजकुल के लोगो को नियुक्त करता था। इसने साम्राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में सह-शासक के रूप में अपने पुत्रों को नियुक्त कर रखा था। और विदिशा का उपराजा इसका पुत्र अग्निमित्र था। कौशल का राज्यपाल धनदेव था। सेना के संचालक भी राजकुमार ही थे। इस समय शासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम होती थी।
👉 मौर्यकालीन केन्द्रीय नियन्त्रण में शिथिलता इस काल तक आते-आते आ गयी थी और सामंतीकरण की प्रवृत्ति सक्रिय होने लगी थीं।
👉इसने भरहूत स्तूप का निर्माण करवाया था।
अग्निमित्र
👉 शुंग राजवंश का दूसरे सम्राट के रूप में अग्निमित्र को जाना जाता था। यह शुंग राजवंश के संस्थापक सेनापति पुष्यमित्र का पुत्र था। यह अपने पिता के बाद उत्तराधिकारी के रूप में 149 ई. पू. में राजगद्दी पर बैठा था। अपने पिता के शासनकाल में इसको विदिशा का ‘गोप्ता’ बनाया गया था और वहाँ के शासन का सारा कार्य इसको सौंपा गया था।
👉इसका शासनकाल 149 ईसा पूर्व से 141 ईसा पूर्व के मध्य माना जाता हैं।
👉 शुंग राजवंश का सबसे अंतिम शासक देवभूति था। इसकी हत्या वासुदेव ने 73 ईसा पूर्व में कर एक नए राजवंश कण्व वंश की स्थापना की थीं। और राज सिंहासन पर बैठ गया था।
शुंग वंश का संस्थापक कौन था और पुष्यमित्र शुंग का शासनकाल कितने वर्षो तक रहा था।
शुंग वंश का संस्थापक पुष्यमित्र शुंग था इसका शासनकाल 37 वर्षों तक चला इसका कार्यकाल 185 ईस्वी पूर्व से लेकर 149 ईस्वी पूर्व के मध्य तक माना जाता हैं।