सिन्धु घाटी सभ्यता

सिन्धु घाटी सभ्यता

सिन्धु घाटी सभ्यता

 

 सिन्धु घाटी सभ्यता का कालक्रम एवं नामाकरण

🔰 रेडियो कार्बन विश्लेषण पद्धति के द्वारा सिन्धु घाटी सभ्यता 2350 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व मानी जाती है ।

🔰 सिन्धु सभ्यता का अन्य नदी घाटियों तक विस्तृत रूप होने के के कारण इसे ‘हड़प्पा सभ्यता’ के नाम से  जाना जाता है। हड़प्पा इस सिन्धु घाटी सभ्यता का प्रथम उत्खनन स्थल होने कारण भी इसे हड़प्पा सभ्यता कहाँ जाता है |

सिन्धु घाटी सभ्यता की विशेषता

🔰 सिन्धु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता कांस्ययुगीन सभ्यता मानी जाती है

🔰 मोहनजोदड़ो को ‘मृतकों का टीला’ या ” मुर्दो का टीला “भी कहा जाता है।

🔰 कालीबंगा का अर्थ ‘काले रंग की चूड़ियाँ’ अर्थात् कालीबंगा से हमें काले रंग की चूड़ियों के अवशेष मिले है |

इस सभ्यता को कांस्य युग या आद्य ऐतिहासिक युग में रखा गया है  ।

🔰 सिन्धु घाटी सभ्यता  या हड़प्पा सभ्यता की महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह नगर नियोजित थी तथा इनके घर पक्की ईंटो से बनाए जाने के कारण यह शहरी सभ्यता थी यहाँ एक सुव्यवस्थित जल निकास प्रणाली तथा नगर-निर्माण योजना की प्रमुख विशेषता थी।

🔰 यह सभ्यता का त्रिभुजाकार फैली हुई है ।

सिन्धु घाटी सभ्यता का विस्तार , पश्चिम में सुत्कागेंडोर ( पाकिस्तान ), उत्तर में मांडा ( जम्मू कश्मीर ), पूर्व में आलमगीरपुर ( उत्तरप्रदेश ),  तथा दक्षिण में दैमाबाद ( महाराष्ट्र ) तक था।

🔰 सिन्धु घाटी सभ्यता अपनी नगरीय नियोजन प्रणाली के लिये जानी जाती है।

🔰 मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के नगरों में अपने- अपने दुर्ग थे जो नगर से कुछ ऊँचाई पर स्थित होते थे जिसमें अनुमानतः उच्च वर्ग के लोग निवास करते थे ।

🔰 दुर्ग से नीचे ईंटों से बनाए नगर होते थे,जिसमें सामान्य लोग निवास करते थे।

🔰 हड़प्पा सभ्यता की एक ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि इस सभ्यता में ग्रिड प्रणाली मौजूद थी जिसके अंतर्गत सडकें एक दूसरे को समकोण पर काटती थीं ।

🔰 अन्न के भंडारों का निर्माण सिन्धु घाटी सभ्यता के नगरों की महत्वपूर्ण विशेषता थी।

🔰 हड़प्पा सभ्यता में जल निकासी प्रणाली बहुत प्रभावी थी।

🔰 हड़प्पा सभ्यता से बड़ी -बड़ी ईंट निर्मित संरचनाओं से राजगीरी जैसे महत्त्वपूर्ण शिल्प के साथ साथ राजमिस्त्री वर्ग के अस्तित्व का पता चलता है।

🔰 हड़प्पा के लोग नाव बनाने की विधि,मनका बनाने की विधि,मुहरें बनाने की विधि से भली- भाँति परिचित थे। टेराकोटा की मूर्तियों का निर्माण हड़प्पा सभ्यता की महत्त्वपूर्ण शिल्प विशेषता थी।

🔰 हर छोटे और बड़े घर के अंदर स्वंय का स्नानघर और आँगन होता था।

सिन्धु घाटी सभ्यता का व्यवसाय

🔰 हड़प्पा सभ्यता शहर से सुनियोजित थी। इस सभ्यता के घर पक्की ईंटो से बनाए जाते थे । इनकी अर्थव्यवस्था कृषि एवं पशुपालन पर आधारित थी।

🔰 सिन्धु घाटी सभ्यता का समाज पितृसत्तात्मक न होकर मातृसत्तात्मक था। यहाँ के लोग पशुपालन तथा क़ृषि के साथ-साथ व्यापार एवं उद्योग भी इनकी अर्थव्यवस्था के मुख्य आधार था |

🔰 विश्व में सबसे पहले भारत के निवासियों ने कपास की खेती करना प्रारम्भ किया था ।

🔰 हड़प्पा गाँव मुख्यतः प्लावन मैदानों के पास स्थित थे,जो पर्याप्त मात्रा में अनाज का उत्पादन करते थे।

🔰 इस सभ्यता के लोग गेहूँ, जौ, सरसों, तिल, मसूर आदि का उत्पादन होता था गुजरात के कुछ स्थानों से बाजरा उत्पादन के संकेत भी मिले हैं,जबकि यहाँ चावल के प्रयोग के संकेत तुलनात्मक रूप से बहुत ही दुर्लभ मिलते हैं।

🔰 हड़प्पा के लोग पत्थर ,धातुओं, सीप या शंख का व्यापर करते थे।

🔰सिंधु घाटी सभ्यता मिस्र,मेसोपोटामिया,भारत और चीन की चार सबसे बड़ी प्राचीन नगरीय सभ्यताओं से भी अधिक उन्नत थी।

🔰 दजला -फरात नदियों की भूमि वाले क्षेत्र से हड़प्पा वासियों के वाणिज्यिक संबंध थे।

🔰 मेसोपोटामिया में ‘कपास’ के लिए ‘सिन्धु’ शब्द का प्रयोग किया जाता था। यूनानियों द्वारा कपास को ‘सिण्डन’ कहा जाता था , जो सिन्धु का ही यूनानी रूपान्तरण है।

🔰हड़प्पा सभ्यता में आन्तरिक एवं विदेशी दोनों प्रकार का व्यापार होता था। इनका व्यापार वस्तु के विनिमय के द्वारा होता था।

🔰इस सभ्यता के माप-तौल की इकाई 16 के अनुपात में थी।

🔰 मिट्टी के बर्तन बनाने की विधि पूर्णतः प्रचलन में थी,हड़प्पा वासियों की स्वयं की विशेष बर्तन बनाने की विधियाँ थीं, हड़प्पा के लोग चमकदार बर्तनों का निर्माण करते थे ।

सिन्धु घाटी सभ्यता का व्यवसाय

🔰 हड़प्पा सभ्यता में प्रशासन सम्भवतः वणिक् वर्ग द्वारा चलाया जाता था। इस सभ्यता में मातृदेवी की उपासना का प्रमुख स्थान था। इसके साथ ही पशुपति, लिग, योनि, वृक्षों और पशुओं की भी पूजा की जाती थी।

🔰 सिन्धु घाटी सभ्यता पशुओं में कूबड़ वाला सांड अत्यधिक महत्त्वपूर्ण पशु था और इसकी पूजा की जाती थी |

🔰 घोड़े के साक्ष्य सूक्ष्म रूप में मोहनजोदड़ो और लोथल की एक संशययुक्त टेराकोटा की मूर्ति से मिले हैं।हड़प्पा संस्कृति किसी भी स्थिति में अश्व केंद्रित नहीं थी।

सिन्धु घाटी सभ्यता के साक्ष्य

🔰 सिन्धु घाटी सभ्यता से मन्दिर के अवशेष नहीं मिले हैं।

🔰 इस सभ्यता के निवासी मिट्टी के बर्तनों का निर्माण, मुहरों का निर्माण, मूर्ति का निर्माण आदि कलाओं में निपुण थे।

🔰 इस सभ्यता की मुहरें अधिकांशतः सेलखड़ी की बनी होती थीं।

🔰 सिन्धु घाटी सभ्यता में शवों को दफनाने एवं जलाने की प्रथा प्रचलित थी।

🔰 मानव शास्त्रियों के अनुसार चार जाति समूहों; प्रोटो- ऑस्ट्रेलॉयड, भूमध्य सागरीय, मंगोलियन एवं अल्पाइन द्वारा सिन्धु घाटी सभ्यता का निर्माण हुआ था।

🔰 इस सभ्यता के प्रमुख केन्द्र हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, राखीगढ़ी, लोथल, कालीबंगा, चन्हूदड़ो, रोपड़ , रंगपुर, धोलावीरा आदि है।

🔰 सिन्धु घाटी सभ्यता का प्रमुख बंदरगाह लोथल है। इस सभ्यता के लोगों का प्रमुख व्यवसाय कृषि था। इस सभ्यता के लोग जौ और गेहूँ की खेती करते थे। इस सभ्यता के समय समय मटर, तिल, खजूर , रुई आदि की खेती होती थी। हड़प्पा सभ्यता की लिपि भाव – चित्रात्मक थी। इस सभ्यता के लोग मातृदेवी की पूजा करते थे ।

🔰 इस सभ्यता में चावल के साक्ष्य लोथल और रंगपुर से मिले है। भारत में इस सभ्यता के सर्वाधिक स्थल गुजरात में पाए गए हैं।

 

सिंधु घाटी सभ्यता के चरण तीन चरण इस प्रकार है।

1. प्रारंभिक हड़प्पा सभ्यता (3300ई.पू.-2600ई.पू. तक)

2. परिपक्व हड़प्पा सभ्यता (2600ई.पू-1900ई.पू. तक)

3. उत्तर हड़प्पा सभ्यता (1900ई.पु.-1300ई.पू. तक)

🔰 प्रारंभिक हड़प्पा चरण ‘हाकरा चरण’ से संबंधित है, जिसे घग्गर- हाकरा नदी घाटी में चिह्नित किया गया है।

🔰 इस लिपि का प्रथम उदाहरण लगभग 3000 ई.पू के समय का मिलता है।

🔰 सिन्धु घाटी सभ्यता के चरण की विशेषताएं बढ़ते हुए नगरीय गुण एवं एक केंद्रीय इकाई का होना थे।

🔰 कोटदीजी स्थल परिपक्व हड़प्पा सभ्यता के चरण को प्रदर्शित करता है।

🔰 2600 ई.पू. तक हड़प्पा सभ्यता अपनी परिपक्व अवस्था में कदम रख चुकी थी।

🔰 इस सभ्यता के क्रमिक पतन की शुरुआत 1800 ई.पू. से मानी जाती है,1700 ई.पू. तक आते-आते हड़प्पा सभ्यता के कई शहर समाप्त हो चुके थे ।

🔰 कुछ पुरातात्त्विक आँकड़ों के अनुसार उत्तर हड़प्पा काल का अंतिम समय 1000 ई.पू. – 900 ई. पू. तक बताया गया है।

सिन्धु सभ्यता की लिपि

🔰  इस सभ्यता की लिपि भाव-चित्रात्मक है। इस लिपि को प्रथम पंक्ति में दाएँ से बाएँ तथा दूसरी पंक्ति में बाएँ से दाएँ लिखा गया था | इस लेखन पद्धति को ‘बुस्टोफेदम’ कहा जाता है। इसे लिपि को तक पढ़ा नहीं जा सका है।

सिन्धु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल

1. हड़प्पा

2.मोहनजोदड़ो

3. चन्हुदड़ो

4. रंगपुर

5. रोपड़

6. लोथल

7. कोटदीजी

8. आलमगीरपुर

9. कालीबंगा

10. राखीगढ़ी

11. बनावली

12. धोलावीरा

 

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