CAA आखिर क्या है?

CAA आखिर क्या है?

CAA आखिर क्या है?

सीएए के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता लेने में आसानी होगी।

आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha chunav) से पहले केंद्र सरकार ने आज यानि सोमवार, 11 मार्च को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
2019 में कोरोना के चलते CAA अर्थात नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने में देरी का सामना करना पड़ा, लेकिन अब इसे सन 2024 में लागू कर दिया गया है।

CAA आखिर क्या है?

अब जान लेते CAA आखिर क्या है, और इसमें कब संशोधन किया गया और इस नए कानून में कौन-कौन से प्रावधान शामिल किए गए? सीएए संसद से कब पारित हुआ था? आखिर क्या है नागरिकता संशोधन कानून?

CAA आखिर क्या है?

अब जान लेते CAA का फुल फॉर्म क्या है?

CAA का का फुल फॉर्म Citizenship Amendment Act (CAA)है, जिसे हिंदी में नागरिकता संशोधन अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है।

CAA किन देशों के किन धर्म के नागरिकों पर लागू होगा?

नागरिकता संशोधन विधेयक से अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अवैध प्रवासियों को नागरिकता के लिए पात्र बनाने के लिए नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन किया गया है।

CAA का इतिहास ?

आपकी जानकारी के लिए बता दें नागरिकता संशोधन अधिनियम को पहली बार 2016 मेंलोकसभा में पेश किया गया था. यहां से तो यह बिल पास हो गया..लेकिन राज्यसभा में जाकर ये अटक गया था. बाद में इसे जब संसदीय समिति के पास भेजा गया तब बीच में 2019 के लोकसभा चुनाव आ गए जिसे यह कानून वहीं रुक गया , फिर जब बीजेपी की सरकार बनी. नागरिकता संशोधन विधेयक 9 दिसंबर 2019 को लोकसभा में प्रस्तावित किया गया था। 9 दिसंबर 2019 को ही विधेयक सदन से पारित हो गया। 11 दिसंबर 2019 को यह विधेयक राज्यसभा से पारित हुआ था।इसके बाद 10 जनवरी, 2020 को राष्ट्रपति द्वारा इसे मंजूरी मिल गई थी…लेकिन कोरोना वायरस के कारण इसे लागू ककने में देरी हुई.

नए कानून में क्या प्रावधान हैं? .

नागरिकता अधिनियम में देशीयकरण द्वारा नागरिकता का प्रावधान किया गया है। नागरिकता संशोधन कानून, 2019 (सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट) भारत के तीन पड़ोसी मुस्लिम बाहुल्य देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के से आए अल्पसंख्यक को भारत में नागरिकता देने के लिए प्रावधान किया गया है,
आवेदक को पिछले 12 महीनों के दौरान और पिछले 14 वर्षों में से आखिरी साल 11 महीने भारत में रहना चाहिए। कानून में छह धर्मों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) और तीन देशों (अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान) से संबंधित व्यक्तियों के लिए 11 वर्ष की जगह छह वर्ष तक का समय है।

नागरिकता संशोधन अधिनियम 1955 में यह बताया गया है, कि कौन भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकता है, और इसके लिए आधार क्या होंगे यदि कोई व्यक्ति बात का नागरिक बन भी जाता है तो उसका जन्म भारत में हुआ है या नहीं यह सभी देखा जाएगा या उसके माता-पिता भारतीय हों या कुछ समय से देश में रह रहे हों, आदि। हालांकि, अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से प्रतिबंधित किया गया है। अवैध प्रवासी वह विदेशी होता है जो: (i) पासपोर्ट और वीजा जैसे वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना देश में प्रवेश करता है, या (ii) वैध दस्तावेजों के साथ प्रवेश करता है, लेकिन अनुमत समय अवधि से अधिक समय तक रहता है।

सीएए कानून लागू होने के बाद होने वाले बदलाव

नागरिकता संशोधन अधिनियम कानून लागू होने के बाद इसका पूरा कंट्रोल केंद्र सरकार के पास होगा. पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म से जुड़े शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी. नागरिकता पाने के लिए व्यक्ति को ऑनलाइन आवेदन करना होगा जिसके लिए अभी ऑनलाइन पोर्टल तैयार किया जा रहा है. नागरिकता पाने के लिए व्यक्ति को अपना वह साल बताना होगा जिस साल वह व्यक्ति भारत में आया था किसी तरह का कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा. पात्र विस्थापितों को सिर्फ ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर अपना आवेदन करना होगा. इसके बाद गृह मंत्रालय द्वारा आवेदन की जांच की जाएगी और व्यक्ति को नागरिकता जारी कर दी जाएगी.

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