खिलजी वंश का सम्पूर्ण इतिहास और MCQ

खिलजी वंश का सम्पूर्ण इतिहास

Khalji Dynasty or Khilji Dynasty 

• आज हम इस लेख में खिलजी वंश के इतिहास से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी और महत्वपूर्ण प्रश्न को पढ़ेंगे। 

खिलजी वंश के महत्वपूर्ण शासक, शासनकाल और महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ 

शासकशासनकालउपलब्धियाँ
जलालुद्दीन फिरोज खिलजी1290 ईस्वी से 1296 ईस्वी तकखिलजी वंश की नींव।
अलाउद्दीन खिलजी (गुरशास्प)1296 ईस्वी से 1316 ईस्वी तकघोड़े दागने की प्रथा, सैनिकों को नकद वेतन, सीरी का किला और अलाई दरवाजा का निर्माण, बाजार नियन्त्रण प्रणाली।
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी1316 ईस्वी से 1320 ईस्वी तकखलीफा की उपाधि धारण की।
खिलजी वंश का सम्पूर्ण इतिहास

यह जानकारी आप www.secondcoaching.com पर पढ़ रहे हैं। पोस्ट पसंद आयी हो और ऐसी ही पोस्ट पढ़ने के लिए हमारे वेबसाइट से जुड़े रहे। 

वाकाटक वंश के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं के विषय में पुरी जानकारी प्राप्त करने के लिए यहाँ पर click करे।

गुलाम वंश के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं के विषय में पुरी जानकारी प्राप्त करने के लिए यहाँ पर click करे।

• गुलाम वंश के शासन को समाप्त कर जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने 13 जून 1290 ईस्वी को खिलजी वंश की स्थापना की थीं। जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने अपनी राजधानी दिल्ली के समीप किलोखरी को बनाया था। इसका शासनकाल 1290 ईस्वी से लेकर 1296 ईस्वी के मध्य माना जाता हैं। 

• 1296 ईस्वी में जलालुद्दीन की हत्या कड़ामानिकपुर ( इलाहबाद ) में उसका भतीजा एवं दामाद अलाउद्दीन खिलजी ने कर दी थीं। दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान जलालुद्दीन फिरोज खिलजी था जिसने राजत्व का आधार और प्रजा का समर्थन माना। 

• अलाउद्दीन खिलजी, 22 अक्टूबर 1296 ईस्वी को दिल्ली का सुल्तान बना तथा इनके बचपन का नाम अली तथा गुरशास्प था। यह खिलजी वंश का सबसे महान और शक्तिशाली शासक था। इसके पास दिल्ली के शासकों में सबसे अधिक विशाल स्थायी सेना थीं। इसने स्थायी सेना की सीधी भर्ती और सेना को नकद वेतन देने की नींव रखी थीं। 

• अलाउद्दीन खिलजी ने घोड़ा दागने और सैनिकों का हुलिया लिखने की प्रथा की शुरुआत की थीं।

• भूराजस्व की दर को बढ़ाकर इसने उपज का 1/2 भाग कर दिया था। लूट का धन अर्थात् खम्स में अलाउद्दीन खिलजी ने सुल्तान का हिस्सा 1/4 भाग के स्थान पर 3/4 कर दिया था। 

• इसने बेईमानी रोकने के लिए कम तौलने वाले व्यापारियों के शरीर से मांस का टुकड़ा काट लेने का आदेश दिया। ” मूल्य नियंत्रण प्रणाली ” को इसने अपने शासनकाल में दृढ़ता से लागू किया था। इसने मलिक काफूर को दक्षिण भारत की विजय के लिए भेजा था। 

• अलाउद्दीन खिलजी ने सीरी का किला, हजार खम्भा महल, अलाई दरवाजा और जमैयत खाना मस्जिद का निर्माण करवाया था। इस्लामी वास्तुकला का रत्न ” अलाई दरवाजा ” को कहा जाता हैं। अलाउद्दीन खिलजी ने देवी अधिकार के सिद्धांत को चलाया था। 

• मुहम्मद हसन अमीर खुसरो का मूल नाम था इनका जन्म 1253 ईस्वी में पश्चिमी उत्तरप्रदेश में बदायूँ के पास पटियाली में हुआ था। शेख निजामुद्दीन औलिया एक प्रसिद्ध सूफी संत थे जिनके शिष्य अमीर खुसरो थे। दिल्ली सल्तनत के सुल्तान बलबन से लेकर मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में अमीर खुसरो रहे। अमीर खुसरो को भारत का तोता अर्थात् तुतिए हिन्द के नाम से भी जाना जाता हैं। अमीर खुसरो को तबले और सितार के अविष्कार का श्रेय भी दिया जाता हैं। 

अलाउद्दीन खिलजी द्वारा बाजार-नियंत्रण करने के लिए बनाए जाने वाले नवीन पद 

  • दीवान-ए-रियासत :- यह बाजार नियंत्रण की पूरी व्यवस्था का संचालन करता था पर व्यापारियों पर नियंत्रण भी रखता था। 
  • शहना-ए-मंडी :- प्रत्येक बाजार में बाजार का अधीक्षक । बाजार के अंदर बरीद, घूमकर बाजार का निरीक्षण करता था।
  • मुनहियान व गुप्तचर :- यह गुप्त सूचना प्रदान करता था। 

• अलाउद्दीन खिलजी ने स्वयं को सिकन्दर-ए-सानी की उपाधि से सम्मानित किया था। दीवान-ए-रियासत अलाउद्दीन खिलजी ने मलिक याकूब को नियुक्त किया था। परवाना-नवीस अलाउद्दीन खिलजी द्वारा नियुक्त नामक अधिकारी था जो वस्तुओं की परमिट जारी करता था। शहना-ए-मंडी में खाद्यान्न सम्बंधित वस्तुओं को बिक्री के लिए लाया जाता था। सराए-ए-अदल में शक्कर, मेवा, वस्त्र, जड़ी-बूटी, दीपक का तेल एवं अन्य निर्मित वस्तुएँ बिकने के लिए आती थीं। 

• जियाउद्दीन बरनी की कृति तारीखे फिरोजशाही से अलाउद्दीन खिलजी की आर्थिक नीति की व्यापक जानकारी मिलती हैं। इसकी कृति खजाइनुल-फतूह-अमीर, इसामी की कृति फुतूहस्सलातीन एवं इब्न बतूता की कृति रिहला हैं। 

• मुहतसिब (सेंसर) एवं नाजिर (नाप-तौल अधिकारी) की मूल्य नियंत्रण प्रणाली को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका थीं। अलाउद्दीन खिलजी ने सर्वप्रथम मिल्क, राजस्व सुधारों, इनाम और वक्फ के अंतर्गत दी गयी भूमि को वापस लेकर उस भूमि को खालसा भूमि में बदल दिया था। 

अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा लगाये जाने वाले दो नवीन कर निम्नानुसार थे।

  • चराई कर :- दुधारू पशुओं पर चराई कर लगाया जाता था।     
  • गढ़ी कर :- घरों एवं झोपड़ी पर गढ़ी कर लगाया जाता था।

• 1297 ईस्वी से लेकर 1307 ईस्वी तक मंगोलों ने अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में छः आक्रमण हुए। 1297 ईस्वी में कादर खाँ के नेतृत्व. ए प्रथम आक्रमण, 1298 ईस्वी में सल्दी के नेतृत्व में दूसरा आक्रमण, 1299 ईस्वी में कुतलुग ख्वाजा के नेतृत्व में तीसरा आक्रमण, 1303 ईस्वी में तार्गी के नेतृत्व में चौथा आक्रमण, 1305 ईस्वी में अलीबेग और तार्ताक के नेतृत्व में पाँचवां आक्रमण, 1306 ईस्वी में कबक और इकबालमन्द के नेतृत्व में छठा आक्रमण हुआ था। 

• 5 जनवरी 1316 ईस्वी को अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु हो गयी थीं। इनकी मृत्यु के बाद खिलजी वंश के उत्तराधिकारी के रूप में 1316 ईस्वी में कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी दिल्ली के राज सिंहासन पर बैठा था। इस शासक को नग्न पुरुष और स्त्री की संगत पसंद थीं। 

• राजदरबार में कभी-कभी कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी स्त्रियों के वस्त्र पहनकर आता था। कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी बरनी के अनुसार कभी-कभी नग्न होकर दरबारियों के बीच दौड़ा करता था। इसने खलीफा की उपाधि धारण की थीं। 15 अप्रैल 1320 ईस्वी में मुबारक के वजीर खुशरों खाँ ने इसकी हत्या कर दी थीं। और दिल्ली के राज गद्दी पर स्वयं बैठ गया था। 

• पैगंबर के सेनापति की उपाधि खुशरों खाँ ने धारण की थीं।

खिलजी वंश से संबंधित MCQ

 

#1. (“गुलाम वंश की समाप्ति के बाद भारत में किस वंश की स्थापना हुई।”

Previous
Finish

Results

HD Quiz powered by harmonic design

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top